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कैसे साफ होगी नर्मदा…किनारे बसे 15 शहर रोज नदी में उड़ेल रहे 130 मिलियन लीटर गंदा पानी

अब तक सिर्फ बुदनी और नेमावर में ही बन सके एसटीपी

अशोक गौतम/भोपाल। अमरकंटक से निकलकर मप्र में 1,077 किमी बहने वाली नर्मदा नदी के किनारे 15 शहर बसे हैं। इन शहरों का 130 एमएलडी से अधिक गंदा पानी रोजाना नर्मदा नदी में मिल रहा है। इससे नदी का पानी दिन-ब-दिन दूषित हो रहा है। हालांकि मप्र सरकार अगले वर्ष तक नर्मदा में गंदा पानी नहीं मिलने देने का ऐलान कर चुकी है। इसके लिए इन शहरों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाने का काम चल रहा है। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के अलावा विभागीय स्तर पर रोजाना इस काम की समीक्षा की जा रही है। निकायों को इस वर्ष के अखिरी तक सभी एसटीपी के निर्माण कार्य पूरे करने हैं। इधर, सीहोर जिले के बुदनी और धार के नेमावर में एसटीपी बनकर तैयार हैं। जल्द ही इनके आॅपरेशन का काम भी प्रारंभ होगा। इन परियोजनाओं की मॉनीटरिंग सीधे तौर पर एनजीटी कर रहा है।

गुजरात में लगा था केस

नर्मदा के प्रदूषण को लेकर गुजरात हाईकोर्ट में वर्ष 2000 में एक पिटीशन लगाई गई थी। इस पिटीशन को एनजीटी के पश्चिमी जोन में ट्रांसफर कर दिया गया। पश्चिमी जोन ने यह कहते हुए इस केस को नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल ट्रांसफर कर दिया कि मप्र नर्मदा का उद्गम स्थल है। वहां से इसके शुद्धीकरण की रिपोर्ट तैयार की जाए। मप्र ने एनजीटी को एसटीपी बनाने की जानकारी दी।

79 करोड़ जुर्माना लगाया

एनजीटी के निर्देश पर नर्मदा नदी में गंदा पानी छोड़ने पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 79 करोड़ का जुर्माना लगाया है। बताया जाता कि एनजीटी ने इन शहरों में 2020 तक निकायों के गंदे पानी का उपचार करने के लिए कहा था। इसके बाद भी अगर निकाय गंदा पानी नहीं रोकते हैं तो उन पर जुर्माना लगाने आदेश दिया था। इसके चलते इन निकायों पर 79 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है।

नदी किनारे बसे शहर                 कितना गंदा मिल रहा              STP बना   या बन रहा

अमरकंटक                                 0.98                                         1.11

डिंडोरी                                       2.49                                         3.80

मंडला                                       10.25                                       11.75

जबलपुर                                    83.43                                        63

नर्मदापुरम                                 12.22                                        21.00

बुदनी                                        3.20                                          3.20

नेमावर                                      4.90                                          1.00

बड़वाह                                     3.40                                           3.70

ओंकारेश्वर                                 0.67                                           4.00

धरमपुरी                                   1.50                                           2.00

सनावद                                     5.00                                           7.00

मंडलेश्वर                                   1.60                                           3.00

महेश्वर                                      3.20                                           4.90

बड़वानी                                    7.3                                             9.00

  1. सिर्फ बुदनी में जितना गंदा पानी निकलता है उतने हिसाब से एसटीपी बना है।
  2. जबलपुर में सीवेज का बायोमीट्रिक ट्रीटमेंट भी हो रहा है।

जीवित इकाई माना नदी को

मध्यप्रदेश विधानसभा ने सदन में 3 मई 2017 को नर्मदा को जीवित इकाई का दर्जा दिए जाने के शासकीय संकल्प को पारित किया। यह नर्मदा के वैधानिक अधिकारों के संरक्षण हेतु शासकीय संकल्प है।

नर्मदा को प्रदूषण से मुक्त करने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। नर्मदा के किनारे बसे सभी शहरों में एसटीपी बनाने का काम तेजी से चल रहा है। कई शहरों में इनका संचालन भी शुरू कर दिया गया है। नर्मदा में दो वर्ष के अंदर किसी भी शहर का गंदा पानी नहीं छोड़ा जाएगा। – कैलाश विजयवर्गीय, मंत्री, नगरीय आवास एवं विकास विभाग

नर्मदा में गंदा पानी न मिले, इसके उपाय किए जा रहे हैं। निकायों में बनाए जा रहे एसटीपी की हर सप्ताह मॉनिटरिंग की जा रही है। जो बन गए हैं, उनके संचालन पर जोर दिया जाएगा। – भरत यादव, आयुक्त, नगरीय विकास एवं आवास विभाग

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