
सुप्रीम कोर्ट ने 22 साल पुराने लाल किले पर हमले के मामले में गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने हमले के दोषी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की फांसी की सजा को बरकरार रखा है। दरअसल, आरिफ ने सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर कर अपनी सजा माफ करने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
दरअसल, आरिफ ने सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर कर अपनी सजा माफ करने की मांग की थी। उसका कहना था कि वह उम्रकैद के बराबर की सजा पहले ही जेल में काट चुका है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी का गुनाह साबित हो चुका है, इसलिए सजा कम नहीं की जाएगी।
चीफ जस्टिस यूयू ललित और न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की एक पीठ ने कहा कि उसने ‘इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड’ पर विचार करने के आवेदन को स्वीकार किया है। पीठ ने कहा, ‘‘हम उस आवेदन को स्वीकार करते हैं कि ‘इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड’ पर विचार किया जाना चाहिए। वह दोषी साबित हुआ है। हम इस अदालत द्वारा किए गए फैसले को बरकरार रखते हैं और पुनर्विचार याचिका खारिज करते हैं।’’
क्या है पूरा मामला
लाल किले पर आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने 22 दिसंबर 2000 को आतंकवादी हमला किया था। हमले में दो सैनिकों समेत तीन लोग मारे गए थे। भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई में लालकिला में घुसपैठ करने वाले दो आतंकवादी भी मारे गए थे।
लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी और पाकिस्तानी नागरिक आरिफ उर्फ अशफाक इसी मामले में पकड़ा गया मुख्य आरोपी है। तब से वह दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है। बाद में आरिफ को कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी।