
धर्म डेस्क। होली में बाजार जहां तरह-तरह के रंग, पिचकारी और व्यंजनों से सज चुके हैं, वहीं घरों में भी होली के लिए चिप्स पापड़ की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। बच्चों से लेकर युवा और बुजुर्ग हर कोई इसके उमंग में सराबोर हो जाता है। खासतौर पर नई नवेली दुल्हन के लिए पहली होली बेहद महत्वपूर्ण होती है। लेकिन क्या आप जानते है कि नवविवाहिता पहली होली अपने मायके में ही क्यों खेलती है।
शादी के बाद पहली होली मायके में मनाने का रिवाज
दरअसल, नई दुल्हन की पहली होली मायके में मनाए जाने के पीछे सदियों से एक मान्यता चली आ रही है। जिसके अनुसार नई दुल्हन और उसकी सास को एक साथ जलती हुई होली को देखना बेहद अशुभ माना जाता है। ऐसा होने से दोनों के बीच कलह हो सकती है या फिर दोनों के लिए व्यक्तिगत तौर पर ये अशुभ फलदायी होता है।
ऐसा करने से बढ़ता है प्यार…
दामाद को भी पहली होली बीवी के साथ मायके में ही खेलनी होती है। कहा जाता है शादी के बाद मायके में होली और पति से दूरी, उनके बीच के प्रेम को और बढ़ाती है और पति-पत्नी के बीच इस एहसास को और बढ़ाने के लिए मायके में पहली होली मनाने की रस्म शुरू की गई थी। होली के मौके पर लड़की पहले ही मायके चली जाती है और पति होली वाले दिन अपने ससुराल आकर पत्नी और सालियों के साथ होली खेलता है। इससे पति-पत्नी के बीच प्यार बढ़ने के साथ ही दामाद का अपने ससुराल पक्ष के साथ बॉन्ड स्ट्रॉन्ग होता है।