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हाईकोर्ट का आदेश : नर्सिंग कॉलेज में परीक्षा पर रोक रहेगी बरकरार, अगली सुनवाई 25 अप्रैल को होगी

ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने बीएससी नर्सिंग परीक्षाओं पर लगी रोक को हटाने से फिलहाल इनकार कर दिया है। बुधवार को परीक्षा को लेकर हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 25 अप्रैल को की जाएगी।

कोर्ट ने सभी दस्तावेजों के साथ पेश होने के दिए आदेश

याचिकाकर्ता एवं अधिवक्ता दिलीप कुमार शर्मा ने बताया कि हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने जबलपुर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए प्रदेश के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह के प्रति गहरी नाराजगी भी जताई। क्योंकि, कॉलेज संचालकों ने आश्चर्यजनक ढंग से नर्सिंग काउंसिल से पिछले कई सालों की मान्यता एकसाथ हासिल कर ली थी। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार और कॉलेज संचालकों को 25 अप्रैल को सभी दस्तावेजों के साथ पेश होने के आदेश दिए हैं।

करीब 20 हजार छात्र हो रहे प्रभावित

कोर्ट ने यह भी कहा है कि यदि जरूरत पड़ी तो इस मामले की डे टू डे सुनवाई की जाएगी। गौरतलब है कि 27 फरवरी को हाईकोर्ट ने नर्सिंग परीक्षाओं पर रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ता ने बीएससी नर्सिंग की परीक्षाओं को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने इन परीक्षाओं पर रोक लगा दी थी। इसमें प्रदेश के सौ से ज्यादा नर्सिंग कॉलेजों के करीब 20 हजार छात्र प्रभावित हो रहे हैं।

खास बात यह है कि इन कॉलेज को 2019-20, 2021-22 की मान्यता जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी ने इसी साल जनवरी में दी थी। ऐसे में भूतलक्षी प्रभाव को देखते हुए पुराने सत्र की मान्यता को 3 और 4 साल बाद नहीं दिया जा सकता। ऐसा विश्वविद्यालय के अधिनियम में भी स्पष्ट प्रावधान है। बावजूद इसके नर्सिंग कॉलेज संचालकों ने मेडिकल यूनिवर्सिटी से सांठगांठ कर ये मान्यता हासिल कर ली थी।

क्या है पूरा मामला ?

हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने इसे गंभीर त्रुटि माना और नर्सिंग परीक्षा के आयोजन को निरस्त कर दिया। नर्सिंग कालेजों ने 2019-20, 2020-21 की संबद्धता पिछले साल जुलाई में एप्लाई की थी। हाईकोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल को इन परीक्षाओं के आयोजन को निरस्त करने के आदेश दिए थे। खास बात यह है कि इन नर्सिंग कॉलेज के छात्रों को बिना नामांकन, बिना प्रैक्टिकल और थ्योरी, बिना कॉलेजों के इंस्पेक्शन के नर्सिंग काउंसिल द्वारा आनन-फानन में मान्यता दी गई थी। इसी को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।

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