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यहां 3 मई से नहीं मिलेगा सरकारी अस्पतालों में इलाज, अपनी मांगों को लेकर डॉक्टर्स करेंगे हड़ताल, 15 हजार चिकित्सक नहीं करेंगे काम, चरमरा सकती हैं स्वास्थ्य सेवाएं

भोपाल : 3 मई से प्रदेश के सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में मरीजों को इलाज मिलना बंद हो सकता है, क्योंकि 15 हजार से ज्यादा सरकारी डॉक्टर्स ने हड़ताल पर जाने की तैयारी कर ली है। मप्र चिकित्सा महासंघ ने हड़ताल से पहले राज्य सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दे दिया है। गवर्नमेंट डॉक्टर्स की इस हड़ताल को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का समर्थन भी हासिल है।

ये डॉक्टर समय पर प्रमोशन, प्रशासनिक अफसरों की दखलंदाजी बंद करने, ग्रामीण सेवा बॉन्ड की राशि घटाने जैसी मांगों को लेकर आंदोलन की राह पर है। अपने आंदोलन से पहले ये सभी डॉक्टर्स काली पट्टी बांधकर काम कर रहे हैं। कल ये सभी डॉक्टर दो घंटे ओपीडी बंद रखेंगे और यदि सरकार की तरफ से सकारात्मक रुख नही दिखा तो 3 मई से प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में इलाज बंद कर देंगे।

इन मांगों को लेकर कर रहे हैं आंदोलन

  1. केंद्र एवं अन्य राज्यों की तरह प्रदेश के डॉक्टरों के लिए DACP योजना का प्रावधान, इसके तहत समय पर प्रमोशन और वेतन वृद्दि की सुविधा मिलती है।
  2. स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग एवं ईएसआई की लंबित विभागीय विसंगतियां द्र किया जाए।
  3. प्रशासनिक अधिकारियों का हस्तक्षेप दूर किया जाए।
  4. NHM में काम कर रहे संविदा डॉक्टरों की MPPSC के जरिए होने वाली नियुक्ति और चयन प्रक्रिया में लिमिट को समाप्त करना।
  5. जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के ग्रेजुएशन के बाद ग्रामीण सेवा बॉन्ड राशि को कम करना, इसके साथ ही एमपी के सरकारी कॉलेजों में देश में सर्वाधिक ट्यूशन फीस है, जिसे कम करना।
  6. सभी विभागों के संविदा डॉक्टरों का वेतन एक जैसा करना।

ये डॉक्टर्स होंगे हड़ताल में शामिल

इस प्रदेशव्यापी हड़ताल में सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ,जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल, चिकित्सा महाविद्यालय , ईएसआई, होम डिपार्टमेंट, गैस राहत, संविदा एवं बॉन्डेड डॉक्टर्स और जूनियर डॉक्टर्स शामिल हैं। इससे पहले भी ये डॉक्टर्स इसी साल फरवरी में हड़ताल पर गए थे, जिस कारण प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई थीं। सरकार ने 17 फरवरी को डॉक्टर्स की मांगें एक माह में पूरा करने का आश्वासन देते हुए मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के एसीएस की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बनाई थी।

इस हाई पॉवर कमेटी में कई दौर की बैठकों के बाद 31 मार्च को डॉक्टरों की मांगों को लेकर तैयार प्रतिवेदन शासन को भेजा गया था। तब से इस प्रतिवेदन पर कोई फैसला शासन की तरफ से नहीं लिया गया। मप्र चिकित्सा महासंघ मुख्य संयोजक डॉ. राकेश मालवीय के मुताबिक डॉक्टर्स के साथ वादाखिलाफी के विरोध में मजबूरन ये हड़ताल करनी पड़ रही है। इधर, प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी के मुताबिक डॉक्टरों की हड़ताल के कारण मरीजों को किसी प्रकार की कोई असुविघा न हो, इसकी तैयारी की जा रही है।

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