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लता मंगेशकर का 92वां बर्थडे आज: पिता के गुजरने के बाद 13 साल की उम्र से उठाई परिवार की जिम्मेदारी, पढ़ें दीदी क्यों ताउम्र रहीं कुंवारी

मुंबई। ‘भारत रत्न’ लता मंगेशकर का आज 92वां बर्थडे है। 28 सितंबर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में जन्मीं लता मंगेशकर को गायिकी क्षेत्र में अतुल्य योगदान देने के लिए भारत रत्न, पद्म विभूषण, पद्म भूषण और दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड सहित कई सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है। लता मंगेशकर ने 36 भाषाओं में 50 हजार से ज्यादा गीतों को अपनी आवाज दी है। बर्थडे के इस अवसर पर हम आपको बताने जा रहे हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें…

बचपन से ही शरारती थीं लता

लता मंगेशकर ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि हमारे यहां मान्यता है कि पहला बच्चा लड़की के मायके में होता है। इसलिए मेरा जन्म मेरी नानी के घर इंदौर में हुआ। फिर हम कोल्हापुर के पास सांगली चले आए। मेरे पिता जी नाटक कंपनी चलाते थे जिसे बंदकर उन्होंने एक फिल्म कंपनी बनाई। हमने वहां मकान बनाया। मैं बहुत शरारती थी, मेरे एक भाई और चार बहनें हैं। मैंने पांच-छह साल की उम्र में पिता जी से गाना सीखना शुरू किया। पिता जी ने फिर से ड्रामा कंपनी शुरू की। हम उनके साथ-साथ टहलने लगे।

13 साल की उम्र आया परिवार का बोझ

भारत छोड़ो आंदोलन अपने शीर्ष पर था तब 1942 में सिर्फ 13 वर्ष की लता को छोड़कर उनके पिता दुनिया से विदा हो गए। लता जी के कंधों पर परिवार का खर्च चलाने की जिम्मेदारी आ गई। उस्ताद अमान अली खान और अमानत खान से संगीत की शिक्षा लेने वाली लता को रोजी-रोटी के लिए संघर्ष शुरू करना पड़ा। उन्होंने 1942 में ही एक मराठी फिल्म ‘किती हासिल’ में गाना गाकर अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन बाद में यह गाना फिल्म से हटा दिया गया। इसके पांच साल बाद भारत आजाद हुआ और लता मंगेशकर ने हिंदी फिल्मों में गायन की शुरुआत की, ‘आपकी सेवा में’ पहली फिल्म थी जिसे उन्होंने अपने गायन से सजाया लेकिन उनके गाने ने कोई खास चर्चा हासिल नहीं की।

1949 में चमकी किस्मत

लता का सितारा पहली बार 1949 में चमका और ऐसा चमका कि उसकी कोई मिसाल नहीं मिलती, इसी वर्ष चार फिल्में रिलीज हुईं ‘बरसात’, ‘दुलारी’, ‘महल’ और ‘अंदाज’। ‘महल’ में उनका गाया गाना ‘आएगा आने वाला आएगा’ के फौरन बाद हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ने मान लिया कि यह नई आवाज बहुत दूर तक जाएगी, यह वह जमाना था जब हिंदी फिल्मी संगीत पर शमशाद बेगम, नूरजहां और जोहराबाई अंबालेवाली जैसी वजनदार आवाज वाली गायिकाओं का राज चलता था।

5 वर्षों तक करना पड़ा संघर्ष

लता जी को करियर के शुरुआत के 5 वर्षों में काफी संघर्ष करना पड़ा। कई फिल्म प्रोड्यूसरों और संगीत निर्देशकों ने यह कहकर उन्हें गाने का मौका देने से मना कर दिया कि उनकी आवाज बहुत महीन है। ओपी नैयर को छोड़कर लता मंगेशकर ने हर बड़े संगीतकार के साथ काम किया, मदनमोहन की गजलें और सी रामचंद्र के भजन लोगों के मन-मस्तिष्क पर अमिट छाप छोड़ चुके हैं। पचास के दशक में नूरजहां के पाकिस्तान चले जाने के बाद लता मंगेशकर ने हिंदी फिल्म पार्श्वगायन में एकछत्र साम्राज्य स्थापित कर लिया, कोई ऐसी गायिका कभी नहीं आई जिसने उनके लिए कोई ठोस चुनौती पेश की हो।

स्लो पॉयजन दिया जा रहा था

लता जी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनकी जिंदगी में ऐसा पल भी आएगा। एक दिन मेरे पेट में तेज दर्द होने लगा। मैं खड़ी तक नहीं हो पा रही थी। मुझे हरे रंग की उल्टियां होने लगीं। जिसके बाद डॉक्टर को बुलाया गया। डॉक्टर ने जांच करने के बाद बताया कि उन्हें स्लो पॉयजन दिया जा रहा है यानी धीमा जहर। जिस दिन मेरी तबीयत खराब हुई, उनका कुक अचानक ही गायब हो गया। उसने अपना वेतन तक नहीं लिया। इस घटना के बाद लता की छोटी बहन ऊषा मंगेशकर ने रसोई की कमान अपने हाथ में ले ली थी।

इंटरव्यू में किया था खुलासा

लता जी ने बताया कि उनके शरीर पर जहर का लंबे समय तक असर रहा था। वह तीन महीनों तक बिस्तर पर ही रहीं। उनका इलाज उनके फैमली डॉक्टर ने किया था। तीन महीने बाद लता फिर से अपने पैरों पर खड़ी हो पाई थीं। लता मंगेशकर ने इसी इंटव्यू में इस बात का खुलासा किया था कि वह जानती हैं कि उन्हें किसने जहर दिया था। लेकिन उनके उस शख्स के खिलाफ कोई सबूत नहीं था। जिसकी वजह से वह कभी उस पर एक्शन नहीं ले पाई। लेकिन इस हादसे के बाद वह ज्यादा सतर्क रहने लगीं।

जिंदगी भर क्यों कुंवारी रहीं

ये बात तो आप सभी जानते ही होंगे कि लता जी ने शादी नहीं की है। उनके फैंस के मन में ये सवाल जरूर आता होगा कि उन्होंने आज तक शादी क्यों नहीं की। कहते हैं लता मंगेशकर को भी कभी किसी से प्यार हुआ था। लेकिन लता की ये प्रेम कहानी कभी पूरी नहीं हो पाई। शायद इसीलिए लता ने आज तक शादी नहीं की। खबरों के मुताबिक लता मंगेशकर को डूंगरपुर राजघराने के महाराजा राज सिंह से लता मंगेशकर बेहद प्यार करती थीं। ये महाराजा लता के भाई ह्रदयनाथ मंगेशकर के दोस्त भी थे। लेकिन ये मोहब्बत मुक्कमल नहीं पो पाई। कहा जाता है कि राज ने अपने माता-पिता से वादा किया था कि वो किसी भी आम घर की लड़की को उनके घराने की बहू नहीं बनाएंगे। राज ने यह वादा मरते दम तक निभाया।

परिवार की जिम्मेदारी थी

वहीं लता जी का कहना था कि उनके ऊपर पूरे घर की जिम्मेदारी थी इसीलिए उन्होंने कभी शादी नहीं की। लेकिन लता की तरह राज भी जीवन भर अविवाहित रहे। राज, लता से 6 साल बड़े भी थे। राज को क्रिकेट का बहुत शौक था। इसके चलते वो कई सालों तक बीसीसीआई से जुड़े रहे। राज लता को प्यार से मिट्ठू पुकारते थे। उनकी जेब में हमेशा एक टेप रिकॉर्डर रहता था जिसमें लता के चुनिंदा गाने होते थे। बता दें कि 12 सितंबर 2009 को राजसिंह का देहांत हो गया था। हालांकि राज के अलावा लता मंगेशकर का नाम किसी और के साथ कभी नहीं जुड़ा।

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