S-400 मिसाइल सिस्टम की पहली रेजिमेंट रूस से भारत पहुंच गई है। बता दें कि किसी भी तरह के हवाई हमलों से निपटने में सक्षम S-400 मिसाइल को पंजाब सेक्टर में तैनात किया गया है। जहां से चीन के साथ पाकिस्तान की तरफ से भी किसी भी तरह का हवाई हमला रोक कर देश की सुरक्षा कर सकेंगी। हालांकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल में ही हुए भारत दौरे के दौरान इसकी सप्लाई जल्द करने का भरोसा दिया था।
India deploys first S-400 air defence system in Punjab sector, to take care of aerial threats from both China, Pak
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— ANI Digital (@ani_digital) December 20, 2021
2022 में आ सकती है दूसरी खेप
इस मिसाइल की दूसरी दूसरी खेप साल 2022 में आ सकती है। तब भारत अपनी S-400 की दोनों रेजिमेंट्स को लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश की सुरक्षा के लिए तैनात कर सकता है। बता दें कि भारत को ऐसी कुल 5 यूनिट मिलेंगी। चीन और पाकिस्तान के खतरे को देखते हुए भारत को S-400 की बहुत जरूरत थी।
मिसाइल S-400 की खासियत
- इस मिसाइल को रोड के जरिए इसे कहीं भी लाया ले जाया जा सकता है।
- इसमें 92N6E इलेक्ट्रॉनिकली स्टीयर्ड फेज्ड ऐरो रडार लगा हुआ है, जो करीब 600 किलोमीटर की दूरी से ही मल्टिपल टारगेट्स को डिटेक्ट कर सकता है।
- ऑर्डर मिलने के 5 से 10 मिनट में ही ये ऑपरेशन के लिए रेडी हो जाता है।
- S-400 की एक यूनिट से एक साथ 160 ऑब्जेक्ट्स को ट्रैक किया जा सकता है। एक टारगेट के लिए 2 मिसाइल लॉन्च की जा सकती हैं।
- S-400 में 400 इस सिस्टम की रेंज को दर्शाता है। भारत को जो सिस्टम मिल रहा है, उसकी रेंज 400 किलोमीटर है। ये 400 किलोमीटर दूर से ही अपने टारगेट को डिटेक्ट कर काउंटर अटैक कर सकता है।
- S-400 के लॉन्चर से 3 सेकंड में 2 मिसाइलें छोड़ी जा सकती हैं। इससे छूटी मिसाइलें 5 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से छूटती है और 35 किलोमीटर की ऊंचाई तक वार कर सकती है।
साल 2019 में हुआ था समझौता
S-400 मिसाइल सिस्टम के लिए भारत ने रूस के साथ अक्टूबर 2019 में समझौता किया था। इसके तहत 5.43 अरब डॉलर (करीब 40 हजार करोड़ रुपए) में 5 S-400 रेजिमेंट खरीदी जाएगी।