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भारत-चीन तनाव के बीच इंडियन एयरफोर्स का शक्ति प्रदर्शन, LAC पर 2 दिन उड़ान भरेंगे राफेल-सुखोई

अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद भारतीय वायुसेना LAC पर 15-16 दिसंबर को युद्धाभ्यास करेगी। इस युद्धाभ्यास में राफेल, सुखोई समेत देश के लगभग सभी फ्रंटलाइन फाइटर जेट अपनी ताकत दिखाएंगे। ये 48 घंटे तक नॉर्थ ईस्ट के तेजपुर, जोरहाट, चाबुआ और हाशिमारा एयरबेस से उड़ान भरेंगे।

युद्धाभ्यास का तवांग में हुई झड़प से है कोई संबध

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये युद्धाभ्यास भारत और चीनी सैनिकों की झड़प से पहले से तय है। ऐसे में इसका तवांग के यांगत्से में हुई झड़प से कोई संबंध नहीं है। इस युद्धाभ्यास में भारत के सभी फ्रंटलाइन एयरबेस और कुछ एडवांस लैंडिंग ग्राउंड्स का भी इस्तेमाल किया जाएगा।

यह युद्धाभ्यास वायुसेना की पूर्वी कमांड करेगी। पूर्वोत्तर से सटे चीन, बांग्लादेश और म्यांमार की सीमाओं की निगरानी पूर्वी कमांड ही करती है। वायुसेना का ये युद्धाभ्यास तेजपुर, चाबुआ, जोरहट और हाशिमारा एयरबेस पर होगा।

9 दिसंबर को क्या हुआ था

यह घटना तवांग जिले के यंगस्टे में हुई। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक 9 दिसंबर 2022 को यह घटना हुई थी। तवांग में चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) तक पहुंचने की कोशिश कर रही थी। चीनी सैनिकों को देख भारतीय सैनिकों (Indian Army) ने उन्हें रोका, जिस पर दोनों तरफ के सैनिकों में झड़प हुई। इसमें दोनों देशों की सेनाओं के कुछ जवानों के जख्मी होने की खबर है। हालांकि, भारत के जवानों ने LAC तक पहुंचने की कोशिश कर रहे चीनी सेनाओं को पीछे धकेल दिया। विवाद वाली जगह से फिलहाल दोनों देशों की सेनाएं हट गई हैं।

17 हजार ऊंची चोटी पर कब्जा करने की फिराक में चीन

इधर, भारतीय सेना ने मंगलवार को कहा कि सेटेलाइट इमेजेस से पता चलता है कि चीन की सेना PLA ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग से सटे अपने इलाके में गांव बसाने के साथ ही भारत-चीन बॉर्डर पर रोड का भी निर्माण कर लिया है। सेना ने सूत्रों के हवाले से बताया कि 9 दिसंबर को चीन के 300 सैनिक एलएसी के पास आ गए थे। 17 हजार फीट की ऊंचाई पर इन्हें नियंत्रित करने के लिए रणनीति की जरूरत होती है, लेकिन इसके बाद भी भारतीय सैनिकों ने प्रयास किया। सेना ने कहा कि चीन बार-बार 17,000 फीट ऊंची चोटी पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन भारत का शिखर पर नियंत्रण है। इससे उसे सीमा के दोनों तरफ एक कमांडिंग व्यू मिलता है।

राजनाथ बोले- हमारी सेना ने चीन को रोका

इससे पहले, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में इस घटना के बारे में जानकारी दी। उन्होंने लोकसभा और राज्यसभा में बताया कि भारतीय सेना ने बहादुरी से पीएलए को हमारे क्षेत्र में अतिक्रमण करने से रोका और उसे अपनी चौकियों पर वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया। उन्होंने माना कि झड़प में दोनों सेनाओं के कुछ सैनिक घायल हुए हैं। राजनाथ ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश के यांग्त्सी क्षेत्र में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने यथास्थिति को बदलने की कोशिश की थी, जिसे हमारी सेना ने विफल कर दिया। इस झड़प में किसी भारतीय सैनिक की मृत्यु नहीं हुई, और न ही कोई भारतीय सैनिक गंभीर रूप से घायल हुआ है।

अमेरिका ने किया भारत का समर्थन

भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच ताजा संघर्ष के बाद स्थिति को नियंत्रित करने के भारत के प्रयासों का अमेरिका ने समर्थन किया है। पेंटागन के प्रेस सचिव पैट राइडर ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि, इस बात की खुशी है कि दोनों ही सेनाएं समय रहते पीछे हट गईं। हम स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। भारत ने जिस तरह से स्थिति को नियंत्रित किया हम उसके प्रयासों का पूरा समर्थन करते हैं। हम अपने भागीदारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग बने रहेंगे।

उन्होंने आगे कहा कि, हम दोनों पक्षों (भारत और चीन) को विवादित सीमाओं पर चर्चा करने के लिए मौजूदा द्विपक्षीय माध्यमों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। अमेरिका ने एलएसी के पास चीन की ओर से सैन्यीकरण और सैन्य बुनियादी ढ़ाचे के निर्माण की आलोचना भी की है।

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पिछले साल भी हुई ऐसी घटना

अक्टूबर 2021 में भी अरुणाचल प्रदेश के इसी इलाके में भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को रोका था। उस वक्त पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के करीब 200 जवान LAC के पास आना चाह रहे थे। तब भी दोनों सेनाओं के बीच झड़प हुई थी। इससे पहले 2020 में गलवान में भारतीय और चीनी सैनिकों की जबरदस्त झड़प हुई थी। उस वक्त सीमा में दाखिल होने की कोशिश कर रहे चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों ने गश्त के दौरान भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया था। इस हमले में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। घटना में चीन ने पहले तो किसी भी जवान के मारे जाने से इंकार किया था।हालांकि, 2021 में चीन ने इस झड़प में अपने पांच अफसर और कई सैनिकों के मारे जाने की बात स्वीकारी थी।

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