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Farmers Protest : हरियाणा के बाद अब पंजाब के तीन जिलों में इंटरनेट सेवा बंद, गृह मंत्रालय ने जारी किए आदेश

नई दिल्ली। देश भर में किसान आंदोलन लगातार उग्र होता जा रहा है। जिसके चलते गृह मंत्रालय ने पंजाब से सटे इलाकों में इंटरनेट सर्विस पर रोक लगा दी है। जारी आदेशों के अनुसार, पंजाब के पटियाला के समाना, घनौर, देवीगढ़, बलभेरा, संगरूर के पीएस खनौरी, मनूक, सुनाम, लेहरा, छजली और फतेहगढ़ साहिब में 16 फरवरी रात तक इंटरनेट बंद रहेगा। इससे पहले हरियाणा में इंटरनेट बंद कर दिया गया था। बता दें कि कल सिंघु बॉर्डर पर किसानों पर पुलिस द्वारा बल प्रयोग के बाद आंदोलनकारियों और सरकार के बीच विवाद गहरा गया था। आज इसी विरोध के चलते पंजाब के संयुक्त किसान मोर्चा ने सुबह 11 बजे से 2 बजे तक प्रदेश के सभी टोल प्लाजा फ्री करवा दिए। इसके साथ ही किसान मोर्चा ने पंजाब के 6 जिलों में दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक रेल रोको आंदोलन का भी ऐलान किया है। मोर्चा ने कल यानी कि 16 फरवरी को भारतबंद का ऐलान भी कर दिया है।

तीसरे दिन आंदोलन हुआ उग्र

पंजाब के किसानों के दिल्ली कूच का सिलसिला लगातार तीसरे दिन भी जारी रहा। फसलों के लिए MSP की गारंटी समेत बाकी मांगें पूरी कराने के लिए वह हरियाणा-दिल्लीके शंभू बॉर्डर पर डटे हुए हैं। यहां हरियाणा पुलिस ने 7 लेयर की बैरिकेडिंग और आंसू गैस के गोले छोड़कर 3 दिन से किसानों को रोके रखा है। हरियाणा से सटी पंजाब की सीमा पर स्थित खनौरी और डबवाली बॉर्डर भी तीन दिनों से बंद हैं। इसके साथ ही सिंघु बॉर्डर पर भी किसान जमा है। यही हालात रहे तो आने वाले दिनों में उत्तर भारत के वासियों को रोजमर्रा की चीजों की किल्लत हो सकती है। उधर कांग्रेस ने भी किसानों के आंदोलन को न्यायिक सहायता देने की घोषणा की है। आम आदमी पार्टी की सरकारें पहले ही किसानों के आंदोलन को सही ठहरा चुकी हैं।

आज फिर किसानों की मंत्रियों के साथ मीटिंग

आंदोलन को खत्म कराने के लिए केंद्र सरकार ने अपनी कवायद तेज कर दी है। आज फिर 3 केंद्रीय मंत्री चंडीगढ़ में किसान नेताओं के साथ मीटिंग करेंगे। 7 दिनों के भीतर ये तीसरी वार्ता है। इस बीच, मीटिंग से पहले  किसान नेता सरवण सिंह पंधेर ने धमकी भरे लहजे में कहा कि केंद्र सरकार को किसानों की आवाज को सुननी ही पड़ेगी, अन्यथा ठीक नहीं होगा। अब किसान नेताओं की मांग है कि वार्ता सीधे पीएम नरेंद्र मोदी के साथ हो, न कि उनके मंत्रियों के साथ। गौरतलब है कि पिछली बार भी किसान कानूनों के खिलाफ जब आंदोलन हुआ था, तब पीएम नरेंद्र मोदी ने ही किसान कानून वापस लेने की घोषणा की थी। इसके बाद किसानों ने आंदोलन खत्म किया था।

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