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Farmers Protest : धीरे-धीरे हट रहीं बंदिशें… हरियाणा में इंटरनेट पर रोक हटी, सिंघु-टिकरी बॉर्डर खोले गए; सम्मेलन में WTO पर चर्चा करेंगे किसान

नई दिल्ली। किसान आंदोलन का आज 13वां दिन है। पंजाब के किसान शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डटे हुए हैं। उन्होंने दिल्ली कूच का फैसला फिलहाल 29 फरवरी तक के लिए टाल दिया है। वहीं, सरकार भी धीरे-धीरे बंदिशें हटा रही है। किसानों के दिल्ली कूच नहीं करने के फैसले के बाद दिल्ली पुलिस ने भी सिंघु और टिकरी बॉर्डर खोल दिए हैं। बैरिकेड्स हटा दिए गए हैं, जिससे लोगों को काफी राहत मिलेगी। इसी के साथ हरियाणा में इंटरनेट सेवा शुरू कर दी गई है और आज किसान WTO सम्मेलन करेंगे।

किसानों का आज WTO सम्मेलन

आज किसान शंभू और खनौरी बॉर्डर पर वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) को लेकर एक सम्मेलन करने वाले हैं। इस सम्मेलन का मकसद देशभर के किसानों को जागरूक करना है। इसमें एक्सपर्ट आकर किसानों को और सरकार को WTO के नुकसान बताएंगे। किसानों का कहना है कि, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, तब तक वे घर वापस नहीं जाएंगे।

kisan andolan 13 th day

हरियाणा मे इंटरनेट से हटी रोक

हरियाणा के 7 जिलों में मोबाइल इंटरनेट पर लगी रोक को हटा दिया गया है। बता दें कि किसान आंदोलन के चलते हरियाणा के 7 जिलों अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद सहित सिरसा में 11 फरवरी की सुबह 6 बजे से इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई थी।

टीकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर खोले गए

किसानों के दिल्ली कूच को देखते हुए 11 दिन से बंद दिल्ली के टीकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर को खोल दिया गया है। टिकरी बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस के लगाए कंटेनर और पत्थर भी हटाए गए। फिलहाल एक साइड की सड़क खोली गई है। साथ ही झाड़ौदा बॉर्डर पर भी एक साइड आवाजाही शुरू कर दी गई। कुंडली में नेशनल हाईवे-44 पर सीमेंट की दीवार व बैरिकेड्स हटाने में दो से तीन दिन लग सकते हैं। यहां अभी दोनों तरफ की सर्विस लेन को खोला जा रहा है वहीं, फ्लाईओवर बंद रहेगा।

candel march of kisan

खनौरी बॉर्डर पर कैंडल मार्च निकाला

बता दें कि किसान आंदोलन में युवा किसान शुभकरण सिंह की मौत हो गई थी। इसी को लेकर कल यानी 24 फरवरी को किसानों ने देश के कई हिस्सों में शुभकरण को श्रद्धांजलि देते हुए कैंडल मार्च निकाला। शुभकरण के परिवार को एक करोड़ मुआवजा और बहन को सरकारी नौकरी देने का ऐलान पंजाब सरकार ने किया है, लेकिन किसान उसके मर्डर की FIR को लेकर अड़े हुए हैं।

WTO को लेकर किसानों की मांग

किसानों का कहना है कि, भारत को WTO से बाहर कर देना चाहिए, क्योंकि संगठन किसानों और स्थानीय उत्पादों को दी जाने वाली सरकारी सब्सिडी देने के हक में नहीं है। किसानों की मांग है कि, WTO के सदस्य देश की सब्सिडी को सीमित करें या बंद कर दें। इसके पीछे WTO का तर्क है कि, किसानों को ज्यादा सब्सिडी देने से इंटरनेशनल बिजनेस प्रभावित होता है। इसलिए किसानों का कहना है कि WTO के कारण ही सरकार उनकी मांगें नहीं मान रही।

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