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चुनावी गणित साधने भाजपा के रडार पर बड़े कांग्रेसी, ट्राइबल पर फोकस

मिशन-29 की राह चुनौती विहीन बनाने की खातिर 'ऑपरेशन लोटस'

राजीव सोनी, भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव की मैदानी जमावट और मिशन-29 को चुनौतीविहीन बनाने के लिए भाजपा ने ट्राइबल अंचल पर फोकस किया है। खासतौर पर मंडला, झाबुआ और छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र को पूरी तरह निष्कंटक करने की कई स्तर पर कवायद शुरू की गई है। विधानसभा चुनाव में मंडला से भाजपा के बड़े आदिवासी नेता और केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते हारे थे। छिंदवाड़ा क्षेत्र में भाजपा का खाता भी नहीं खुल पाया था।

उधर झाबुआ की सियासी परिस्थितियां अनुकूल नहीं रहीं। यही कारण है कि बीजेपी ने उक्त तीनों के साथ लोकसभा की 7 सीटों को आकांक्षी अर्थात विशेष देखरेख की श्रेणी में रखा है। ‘ऑपरेशन लोटस’ को छिंदवाड़ा अंचल को कांग्रेस मुक्त बनाने की रणनीति के बतौर देखा जा रहा है। अब पूर्व सीएम नाथ भाजपा ज्वाइन करें या नहीं ‘परसेप्शन’ के खेल में भाजपा ने बाजी मार ली है।

छिंदवाड़ा: अगर कमलनाथ आए तो बदलेंगे समीकरण

भाजपा हाईकमान ने इस बार प्रदेश की सभी 29 सीटों पर कमल खिलाने का टारगेट तय किया है। अभी एकमात्र छिंदवाड़ा सीट पर कांग्रेस के नकुल नाथ काबिज हैं। कमल नाथ और नकुल नाथ दोनों अथवा कोई एक भी भाजपा में आता है तो यह सीट भी भाजपा के खाते में आ सकती है। विधानसभा में संसदीय क्षेत्र की सभी सातों सीट के साथ महापौर का चुनाव भी कांग्रेस जीती थी। छिंदवाड़ा में साहू समाज के प्रतिनिधियों ने भी कुछ समय पहले भाजपा जॉइन की है।

मंडला: 8 में से 5 सीटों पर कांग्रेस, भाजपा 3 पर सीमित

मंडला जिले में केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को हार का सामना करना पड़ा। क्षेत्र की 8 में से 5 विस सीटों पर कांग्रेस काबिज है जबकि भाजपा के पास महज 3 सीटें ही हैं। महाकोशल में माहौल बनाने के लिए भाजपा ने हाल ही में जबलपुर महापौर जगत बहादुर और एकता ठाकुर को अपने खेमे में खींच लिया है। डिंडोरी जिपं सदस्य रूद्रेश परस्ते और उनकी पत्नी राधा भी भाजपा में आ चुकी हैं। सीधी जिले की महिला कांग्रेस की प्रदेश महामंत्री ने भी पार्टी बदल ली है।

झाबुआ: डोडियार पर नजर

झाबुआ-रतलाम की 8 में से 4 विस सीटें अर्थात 50 फीसदी भाजपा के खाते में हैं जबकि 3 पर कांग्रेस और एक सैलाना सीट पर पहली बार भारतीय आदिवासी पार्टी के कमलेश्वर डोडियार जीते हैं। डोडियार से भाजपा के संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा की ताजा मुलाकात सुर्खियों में है। अन्य कई नेताओं से भी संवादसं पर्क चल रहा है।

ये हैं आकांक्षी सीटें

भाजपा ने संसदीय चुनाव के लिए जिन सीटों को आकांक्षी श्रेणी में रखा है उनमें प्रमुख रूप से मुरैना, मंडला, खरगोन, छिंदवाड़ा, धार, ग्वालियर और भिंड शामिल हैं। इन क्षेत्रों में भाजपा को अपेक्षित जनाधार नहीं मिल पाया, वोट प्रतिशत भी ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस के पक्ष में रहा।

पार्टी 29 सीटों से संतुष्ट होगी

भाजपा, इलेक्शन इंजीनियरिंग पर गंभीरता से काम कर रही है। इस बार हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छबि और कार्यकर्ता की मेहनत के आधार पर सभी 29 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इसमें कोई समझौता नहीं होगा, पार्टी 29 सीटों से ही संतुष्ट होगी। – डॉ हितेष वाजपेयी, प्रवक्ता मप्र भाजपा.

सियासी फायदे में है भाजपा

पूर्व सीएम कमल नाथ अब भाजपा में शामिल हो जाएं या मना कर दें, दोनों ही स्थितियों में भाजपा को सियासी फायदा होगा। परसेप्शन भाजपा के पक्ष में बन चुका है, चुनाव में यह महत्वपूर्ण फैक्टर होता है। – गिरजा शंकर, राजनीतिक विश्लेषक

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