
कर्नाटक। रूस में फंसे कर्नाटक के तीन युवकों की हाल ही में सकुशल वापसी हुई है। इन्हें एजेंट्स ने सुरक्षा गार्ड की नौकरी का झांसा देकर रूस भेजा था। तीनों युवक सैयद इलियास हुसैनी, मोहम्मद समीर अहमद और सुकैन मोहम्मद ने रूस में अपनी जान जोखिम में डालकर महीनों तक युद्ध क्षेत्र में काम किया। उनकी सुरक्षित वापसी भारत के विदेश मंत्रालय के प्रयासों से संभव हो सकी है।
सुरक्षा गार्ड की नौकरी का झांसा देकर फंसाया
तीनों युवक दिसंबर 2023 में एक एजेंट के जरिए रूस गए थे। उन्हें सुरक्षा गार्ड की नौकरी देने का वादा किया था, जिसमें 70,000 रुपए मासिक वेतन मिलने की बात कही गई थी। लेकिन जैसे ही वे रूस पहुंचे, उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें धोखा दिया गया है। हुसैनी ने बताया कि 70 से अधिक भारतीय अब भी युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में फंसे हुए हैं और रूसी सेना के लिए काम कर रहे हैं।
युद्ध क्षेत्र में नौ महीने बिताने वाले हुसैनी ने बताया कि उन्होंने अपने कई दोस्तों को मरते हुए देखा है। हर मिनट वो अपनी जान बचाने के लिए डर रहे थे। उन्हें यह कभी नहीं लगा कि वह जीवित रहते हुए भारत लौट पाएंगे।
युद्ध क्षेत्र में दी गई ट्रेनिंग और तैनाती
सैयद इलियास हुसैनी ने बताया कि मास्को पहुंचने के बाद उन्हें रूसी सेना के अधिकारियों ने पकड़ लिया और उनके पासपोर्ट और दस्तावेज छीन लिए। इसके बाद उन्हें यूक्रेन की सीमा पर ले जाया गया, जहां उन्हें एक महीने की सैन्य ट्रेनिंग दी गई। इस दौरान उन्हें हथियारों का प्रशिक्षण दिया गया और उनके मोबाइल फोन भी जब्त कर लिए गए।
फरवरी में तीनों को युद्ध क्षेत्र में भेज दिया गया, जहां उन्होंने 14 घंटे से अधिक समय तक खाई खोदने और बंकर बनाने का काम किया। हुसैनी ने आगे कहा कि गुजरात के साथी हेमिल मंगुकिया की ड्रोन हमले में मौत के बाद मुझे लगा कि मेरी बारी भी आ सकती है।
पीएम मोदी की पहल से मिली राहत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर से मिलना तीनों भारतीय युवाओं के लिए वरदान साबित हुआ। हुसैनी के मुताबिक, पीएम मोदी की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के बाद सभी भारतीयों को युद्ध क्षेत्र से बाहर निकालने का आदेश दिया गया। इसके बाद तीनों युवकों को मॉस्को लाया गया और फिर इन्हें दिल्ली भेज दिया गया।