ताजा खबरराष्ट्रीय

जम्मू कश्मीर से जुड़े दोनों विधेयकों में संशोधन को लोकसभा की मंजूरी, 7 विधानसभा सीटें बढ़ीं, SC और ST के लिए सीट रिजर्व, पक्ष-विपक्ष में  तकरार; शाह बोले- नेहरू के दो ब्लंडर पड़े भारी 

नई दिल्ली। केंद्र की बीजेपी सरकार द्वारा में पेश जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक और जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित हो गए है। 6 घंटे तक चली बहस के बाद सदन ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में संशोधन को मंजूरी दे दी। इस विधेयक के तहत अब जम्मू और कश्मीर में विधानसभा सीटों की कुल संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी। इन 90 सीटों में से एससी के लिए 7 और एसटी के लिए 9 सीटें रिजर्व रहेंगीं।

विधेयक पेश करने के बाद सदन में अपने वक्तव्य में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नए परिसीमन में पीओके लिए 24 सीटें आरक्षित की गई हैं, क्योंकि पीओके भी भारत का है। इसके अलावा अब उपराज्यपाल कश्मीरी प्रवासी समुदाय से एक महिला सहित दो सदस्यों को विधानसभा में नामांकित कर सकते हैं।

सदन में हुई जमकर बहस, कांग्रेस का वॉकआउट

इस विधेयक को लेकर कांग्रेस की तरफ से अधीर रंजन चौधरी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर संसद में केवल एक दिन ही कश्मीर मुद्दे पर चर्चा हो जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। उन्होंने केंद्र सरकार पर कश्मीर के साथ भेदभाव का आरोप भी लगाया। इसके जवाब में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि नेहरू के दो बड़े ब्लंडर (गलतियों) का खामियाजा जम्मू-कश्मीर को वर्षों तक भोगना पड़ा।

शाह ने कहा कि 1947 में आजादी के कुछ समय बाद पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय संघर्ष विराम और जम्मू-कश्मीर के मामले को संयुक्त राष्ट्र ले जाने की थी। गृह मंत्री ने कहा कि अगर संघर्ष विराम नहीं हुआ होता तो पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) अस्तित्व में ही नहीं आता। नेहरू के संबंध में शाह की टिप्पणियों का विरोध करते हुए कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट किया।

लोकसभा में मिली मंजूरी

गृह मंत्री के जवाब के बाद इन दोनों विधेयकों को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई। शाह ने सदन में कहा कि नेहरू की पहली और सबसे बड़ी गलती वह थी, जब हमारी सेना जीत की तरफ बढ़ रही थी और पंजाब आते ही संघर्ष विराम कर दिया गया। इससे पीओके का जन्म हुआ। अगर संघर्ष विराम तीन दिन बाद होता, तो आज पीओके भारत का हिस्सा होता। शाह ने कहा कि दूसरी बड़ी गलती संयुक्त राष्ट्र में भारत के आंतरिक मसले को ले जाने का था। शाह ने कहा कि, “मेरा मानना है कि इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में नहीं ले जाना चाहिए था”। शाह ने दावा किया कि नेहरू ने खुद इसे ब्लंडर माना था। इस दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोंक-झोंक भी हुई।

धारा 370 हटाने के बाद पहला बदलाव

5 और 6 अगस्त 2019 को कश्मीर से धारा 370 का खात्मा हो गया था। इसे समाप्त करने के संबंध में जो विधेयक संसद में पेश हुआ था, उसमें न्यायिक परिसीमन की बात कही गई थी। अमित शाह ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम लिए बगैर निशाना साधते हुए कहा, कि कांग्रेस के कुछ नेताओं को लिखकर हाथ में पकड़ा दो तो जब तक नई पर्ची नहीं मिलती, वह छह महीने तक एक ही बात बोलते रहते हैं। शाह ने दावा किया कि धारा 370 हटने के बाद एक कंकड़ तक नहीं उछाला गया, जबकि आतंकवाद के दौर में यहां 45 हजार लोगों की मौत हुई थी।

ये भी पढ़ें- रेवंत रेड्डी होंगे तेलंगाना के CM, 7 दिसंबर को लेंगे शपथ, आलाकमान ने दी हरी झंडी

संबंधित खबरें...

Back to top button