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राजधानी के बाघ भ्रमण क्षेत्र में 24 घंटे दौड़ रहे डंपर, बाघ-शावकों की जान को खतरा

20 किमी की दूरी बचाने के चक्कर में डंपर केरवा-कलियासोत इलाके से गुजर रहे

भोपाल। महाराष्ट्र के गोंदिया जिले में नवेगांव-नागझिरा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में एक बाघ की तीन दिन पहले गाड़ी की टक्कर से मौत हो गई। कुछ इसी तरह की स्थिति भोपाल के केरवा-कलियासोत के जंगलों में है। बाघ भ्रमण क्षेत्र में 24 घंटे रेत-गिट्टी से भरे डंपर, हाइवा और अन्य वाहन अंधाधुंध गति से दौड़ रहे हैं। इससे बाघों की सुरक्षा को खतरा बढ़ गया है। इस क्षेत्र में बाघिन टी-123 अपने शावकों को शिकार करना सिखा रही है। दो माह पहले भी कलियासोत डैम के 13 शटर के पास यह बाघिन शावकों के साथ गुजर रही थी, तभी सामने से चार पहिया वाहन आ गया था।

मप्र में बाघों की संख्या बढ़ी है। भोपाल के केरवा-कलियासोत के जंगलों में 22 अर्बन बाघों की मौजूदगी है। वन विभाग के मैदानी कर्मचारियों के अनुसार, इस क्षेत्र से रोजाना 200 से 250 डंपर निकलते हैं। असल में मिसरोद और रातीबड़ जाने वाले डंपर करीब 20 किमी का चक्कर बचाने के लिए अमरनाथ कॉलोनी, दामखेड़ा, कलियासोत डैम, चंदनपुरा इलाका, मदरबुल फॉर्म, संस्कार वैली, जेएलयू से होकर निकलते हैं।

क्षेत्र में हो गए कई निर्माण

इसके अलावा बाघ भ्रमण क्षेत्र में दो शैक्षणिक संस्थान के साथ ही दो दर्जन रेस्टोरेंट, होटल और फॉर्म हाउस भी बने हुए हैं। होटल, रेस्टोरेंट में रात में पार्टी मनाकर लौटने वाले तेज गति और कर्कश आवाज में हॉर्न बजाते हुए निकलते हैं। वन कर्मचारियों के अनुसार, बाघ रात को इस रोड से कलियासोत डैम में पानी पीने जाते हैं।

विभाग ने लगाए बैरियर, फिर भी नहीं लगी रोक

कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश के बाद वन विभाग ने दो माह पहले बाघ भ्रमण इलाके में मानवीय दखल और ट्रैफिक को रोकने के लिए दो बैरियर लगाए हैं। एक बैरियर जागरण लेक सिटी के पास, जबकि दूसरा संस्कार वैली के पास लगा है। बावजूद डंपरों पर रोक नहीं लग पा रही है। बैरियर पर तैनात वन कर्मियों का कहना है कि डंपर प्रभावशाली लोगों के होते हैं। डंपर चालक उनकी धौंस देते हैं। इससे अक्सर विवाद की स्थिति बनती है।

इस क्षेत्र में हैवी ट्रैफिक पर लगनी चाहिए रोक

केरवा-कलियासोत डैम के पास रोड पर चौबीस घंटे हैवी ट्रैफिक रहता है। यह क्षेत्र टाइगर मूवमेंट वाला है। इससे बाघिन और शावकों के चपेट में आने की आशंका रहती है। दो माह पहले शाम को सड़क क्रॉस करते समय एक बाघिन और उसके शावक बच गए। इस क्षेत्र की सड़कों पर हैवी ट्रैफिक पर रोक लगाई जाना चाहिए। – राशिद नूर एनजीटी याचिकाकर्ता, भोपाल

गोंदिया में वाहन की टक्कर से बाघ की मौत हुई है। ऐसे ही हालात केरवा-कलियासोत के जंगलों के भी है। बाघ भोपाल को कलियासोत डैम से जोड़ने वाली सड़क पार करते रहते हैं। बाघों को दुर्घटनाओं से बचाने के लिए 100-200 मीटर पर स्पीड ब्रेकर और साइनेज की जरूरत है। – सुभाष सी पांडे, पर्यावरणविद्

तेरह शटर और जेएलयू के पास दो बैरियर लगाने के बाद हैवी ट्रेफिक की आवाजाही कम हुई है। यहां पर रात 12 से सुबह 6 बजे तक डंपरों की आवाजाही रोक दी जाती है। हमने नाइट ट्रैफिक कंट्रोल के लिए नगर निगम और पुलिस को पत्र भेजा है। – आलोक पाठक, डीएफओ, भोपाल

(इनपुट-संतोष चौधरी)

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