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पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना की DPR जल्द, दो राज्यों के 25 जिलों को मिलेगा पानी

मप्र और राजस्थान के 20 लोस क्षेत्रों के 4 करोड़ लोगों को होगा फायदा

भोपाल। केन बेतवा लिंक परियोजना के शिलान्यास के साथ पार्वती- कालीसिंध-चंबल-ईआरसीपी लिंक परियोजना की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस माह घोषणा कर सकते हैं। मध्य प्रदेश और राजस्थान दोनों राज्य इस परियोजना की डीपीआर तैयार कर रहे हैं, जो अगले माह बनकर तैयार हो जाएगी। इस परियोजना से दोनों राज्यों के करीब 15 से 20 लोकसभा के मतदाताओं को साधने की तैयारी की जा रही है। एक लोकसभा क्षेत्र में करीब 20 लाख वोटर होते हैं।

इस हिसाब अगर 20 लोस क्षेत्रों के देखा जाए तो करीब 4 करोड़ मतदाता इससे लाभांवित होंगे। इससे मध्य प्रदेश के मालवा और चंबल क्षेत्र के 12 जिले और पूर्वी राजस्थान के 13 जिले इससे लाभान्वित होंगे, इन क्षेत्रों में पेयजल की उपलब्धता बढ़ेगी । ड्राई बेल्ट वाले जिलों जैसे मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, भिंड और श्योपुर में पानी की उपलब्धता बढ़ेगी।

2003 में बनी थी रूपरेखा

वर्ष 2003 में मध्य प्रदेश और राजस्थान की नदियों को लेकर एक योजना बनी थी, लेकिन दोनों राज्यों में अलग-अलग पार्टियों की सरकार होने से प्रस्ताव फुटबॉल बना हुआ था। राजस्थान सरकार ने चंबल नदी पर एक बड़ा डेम बना लिया है, जिसको लेकर मध्य प्रदेश सरकार हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। पानी वितरण को लेकर दोनों राज्यों के बीच असहमति होने से परियोजना खिंच रही थी। अब इस केस को वापस लेने की तैयारी की जा रही है। इसके बाद तुरंत इस पर काम शुरू होने की संभावना है।

मप्र के इन जिलों को मिलेगा पानी

परियोजना से मध्यप्रदेश के चंबल और मालवा अंचल के 13 जिलों को लाभ पहुंचेगा। सीहोर, इंदौर, गुना, उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, भिंड, मुरैना, देवास, शाजापुर, राजगढ़, शिवपुरी और श्योपुर को फायदा होगा।

आगे क्या

इस परियोजना में दोनों राज्यों के बीच एमओयू हो गया है। डीपीआर तैयार होने के बाद दोनों राज्यों के बीच में पानी लेन- देन के शर्तों पर समझौता होगा। डीपीआर में नदियों में 50 वर्ष तक के लिए पानी की उलब्धता कितनी होगी, इस पर फोकस किया जाएगा।

ऐसा है तीन नदियों का उद्गम स्थल और राजस्थान प्रवेश

  • चंबल: मप्र के धार-उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, भिंड और मुरैना आदि जिलों से बहती है।
  • पार्वती: सीहोर जिले से यह गुना में प्रवेश करती है। राजस्थान में सवाईमाधौपुर जिले पाली गांव में चंबल में विलय होती है।
  • कालीसिंध: देवास जिले के बागली गांव के पास विंध्याचल पहाड़ी से निकलती है। यह सोनकच्छ से पास से गुजरती है और शाजापुर में प्रवेश करती है। यहां से राजगढ़ जिले से होकर राजस्थान जाती है।

अगले माह तक बनेगी डीपीआर

पार्वती-कालीसिंध-चंबल- ईआरसीपी लिंक परियोजना के डीपीआर बनाने का काम तेजी से किया जा रहा है। डीपीआर अगले माह बन जाएगी। इससे यह तस्वीर साफ हो जाएगी कि मध्य प्रदेश के लिए कितने जिलों को वास्तविक रूप में से फायदा मिलेगा। इसकी तैयारियां चल रही हैं। -शिशिर कुशवाह, ईएनसी, जल संसाधन विभाग मप्र

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