
भोपाल। घूंघट में रहने वाली महिलाओं ने अपने घर की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने का बीड़ा उठाया है। लखपति बनकर अब घर की स्थिति बेहतर हो गई तो बच्चों की पढ़ाई से लेकर, परिवार और समाज का नजरिया भी हमारे लिए बदल गया है। अब हम आत्मनिर्भर है, परिवार की बेहतरी के लिये निर्णय ले सकते हैं। यह बात 1 जुलाई को शहडोल में जनजातीय कार्यक्रम में पहुंचे पीए नरेंद्र मोदी से लखपति दीदी सविता वर्मन और राधा ने संवाद के दौरान कही थी। दरअसल केंद्र सरकार द्वारा गुरुवार को प्रस्तुत किए गए अंतरिम बजट में देशभर में तीन करोड़ दीदियों को लखपति बनाने की घोषणा की गई है। लखपति दीदी बनाने का आइडिया सबसे पहले मप्र में ही आया था। वर्तमान में राज्य में करीब 16 लाख दीदियां लखपति बन चुकी हैं। केंद्र के लक्ष्य अनुसार प्रदेश में एक साल के अंदर 30 लाख तक दीदियां लखपति बन सकती हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन मप्र ने 2013-14 में ग्रामीण महिलाओं को स्व सहायता समूह के माध्यम से लखपति बनाने की योजना केंद्र सरकार को बताई थी। 1 जुलाई 2023 को पीएम मोदी जब शहडोल जिले के ग्राम पकारिया पहुंचे थे, तब कई ग्रामीण महिलाओं ने बताया था कि वे लखपति दीदी बन गई हैं। इसके बाद से पीएम देश के जिस राज्य में गए, वहां उन्होंने मप्र में लखपति दीदी होने का जिक्र किया। मोदी ने 15 अगस्त को घोषणा करते हुए कहा कि देश में दो करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाएंगे। इसे बढ़ाकर 3 करोड़ किया गया है।
विभागों के सामने चुनौतियां
देश में तीन करोड़ दीदियों को लखपति बनाने की घोषणा हुई है। इस मान से मध्यप्रदेश को 30 लाख महिलाओं को लखपति बनने का लक्ष्य मिल सकता है। जानकार बताते हैं कि एक साल में 5 से 6 लाख महिलाएं ही लखपति दीदी बन पाती हैं। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए ग्रामीण विकास विभाग, उद्यानिकी, कृषि और जनजातीय कार्य जैसे बड़े विभागों को आगे आना होगा।
मनरेगा में बढ़ेगा काम
वित्त मंत्री ने मनरेगा का बजट 60 हजार करोड़ से 86 हजार करोड़ करने की घोषणा की है। इस मान से प्रदेश में 20 करोड़ मानव दिवस से बढ़कर 22 करोड़ मानव दिवस तक काम की डिमांड की जा सकती है। इस वर्ष मनरेगा में 5,930 करोड़ रुपए खर्च हुए, केंद्र से करीब 1200 करोड़ मिलने की उम्मीद है।
2 लाख से अधिक महिलाओं को आयुष्मान का लाभ
बजट में आयुष्मान भारत योजना के में सभी आशा , आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की शामिल करने की घोषणा की गई है। इससे प्रदेश की दो लाख से अधिक महिलाओं को लाभ होगा। राज्य में 98 हजार आंगनबाड़ी और उप आंगनबाड़ी केंद्रों में डेढ़ लाख से अधिक कार्यकर्ता तथा सहायिकाएं कार्यरत हैं। वहीं करीब 75 हजार आशा कार्यकर्ता हैं।
ऐसे बनेंगी लखपति दीदी
ग्रामीण आजीविका मिशन से विभिन्न योजनाओं से जुड़ी स्व सहायता समूह की महिलाओं को लखपति बनाने उनकी आय साल में एक लाख रुपए तक होनी चाहिए। उन्हें विभिन्न योजनाओं से जुड़ना होता है जिससे आय के साधन विकसित हों।