भोपालमध्य प्रदेश

शब्दावली व कल्पनाशीलता के लिए बच्चों को पढ़ाएंगे कहानियां, CBSE ने मिशन रीडिंग के लिए स्टोरी वीवर के साथ किया टाई-अप

सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन रीडिंग मिशन 2021-23' लेकर आया है। मिशन का उद्देश्य कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक के छात्रों पर ध्यान केंद्रित करना है।

प्रीति जैन, भोपाल। टेक्नोलॉजी के चलते छोटे बच्चों का भी अधिकांश समय मोबाइल स्क्रीन पर गेम खेलते हुए बीतने लगा है। कोरोना काल में वैसे भी स्कूल न जाने के कारण उनकी रीडिंग कैपेसिटी पर नकारात्मक असर पड़ा है। बच्चे में पढ़ने की आदत का विकास बचपन से होने लगे इसलिए अब सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन रीडिंग मिशन 2021-23′ लेकर आया है। मिशन का उद्देश्य कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक के छात्रों पर ध्यान केंद्रित करना है।

नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत हुई है यह शुरुआत

सीबीएसई ने रीडिंग मिशन को शुरू करने के लिए प्रथम बुक्स स्टोरी वीवर और सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन के साथ साझेदारी की है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के अनुरूप, इस मिशन के तहत, स्कूलों और शिक्षकों के पास कक्षा पहली से लेकर आठवीं के लिए गुणवत्तापूर्ण अंग्रेजी और हिंदी बच्चों की कहानी की किताबों और सप्लीमेंट्री रिसोर्सेज का भंडार होगा। इसके अलावा, सीबीएसई वर्तमान में 8वीं से 10वीं कक्षा के छात्रों के लिए कक्षा 6वीं और 7वीं के छात्रों के लिए आयोजित सीबीएसई रीडिंग चैलेंज (अंग्रेजी और हिंदी) का विस्तार करेगा।

यहां कर सकते हैं संपर्क:

किसी भी अन्य प्रश्न और जिज्ञासा समाधान के लिए, छात्र और शिक्षक [email protected] पर ईमेल भेज सकते हैं। स्टोरी वीवर की बात करें तो इस पर विभिन्न भाषाओं की हजारों किताबें हैं, जिन्हें बच्चे स्वयं पढ़ सकते हैं या पेरेंट्स उन्हें पढ़कर सुना सकते हैं। बच्चों के अलग-अलग लेवल की किताबें यहां हैं,जो कि सुंदर पिक्टोरियल के साथ तैयार की गईं हैं ताकि बच्चों को उन्हें पढ़ने में आनंद आए।

  • स्टोरी वीवर पर हजारों कहानियां
  • बच्चों के स्तर के मुताबिक चुन सकते हैं
  • बच्चों के लिए फ्री रिसोर्स किया तैयार

भावों व अपने जीवन से संबंध बना पाते हैं

वर्तमान समय में ज्यादातर समय मोबाइल पर ही व्यतीत होता है। बेशक नई से नई टेक्नालॉजी के साथ विद्यार्थी खुद को अपडेट रख रहे हैं लेकिन कहानी व अन्य उपयोगी सामग्री पढ़ने से शब्दावली, कल्पनाशीलता व विभिन्न संस्कृतियों को जानने-समझने में आसानी होती है। बच्चों को कहानियों और उनके अपने जीवन के बीच संबंध बनाकर और उन्हें नए विचारों से अवगत कराया जा सकता है। जो बच्चे पढ़ते हैं वे स्वयं को अधिक स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने में सक्षम होते हैं।
शैलैष झोपे, प्रिंसिपल, आनंद विहार स्कूल

संबंधित खबरें...

Back to top button