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Basant Panchami 2025 : बसंत पंचमी पर भोजशाला में श्रद्धालुओं ने की पूजा-अर्चना

धार। प्रदेश के धार में स्थित मध्यकालीन स्मारक भोजशाला में बसंत पंचमी के अवसर पर सोमवार को श्रद्धालुओं ने पूरे उत्साह और भक्ति के साथ पूजा-अर्चना की जा रही है। यह स्मारक लंबे समय से विवादित है, जहां हिंदू और मुसलमान, दोनों ही अपना दावा करते हैं। कुछ हिंदू संगठन भोजशाला में सोमवार से चार दिवसीय बसंत उत्सव मना रहे हैं और यज्ञ किया जा रहा है।

इस मौके पर इसके परिसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई। मंत्रोच्चार के बीच वेदी में आहुतियां दी जा रही हैं। भोजशाला सहित पूरे परिसर को भगवा पताकाओं से सजाया गया है।

भोजशाला परंपरा और सुरक्षा व्यवस्था

भोजशाला को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे कमाल मौला मस्जिद कहता है। इस स्मारक को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने संरक्षित स्मारक के रूप में अधिसूचित किया है। बसंत पंचमी के अवसर पर हिंदू संगठनों ने चार दिवसीय बसंत उत्सव मनाने की शुरुआत की, जिसके चलते परिसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई। भोजशाला सहित 200 मीटर का एरिया पुलिस छावनी में तब्दील है। 70 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। 9 राजपत्रित अधिकारी, 19 थाना प्रभारी सहित 700 से अधिक जवान सुरक्षा व्यवस्था संभाल रहे हैं।

991वां उत्सव पर निकाली शोभायात्रा

भोजशाला मुक्ति यज्ञ के संयोजक गोपाल शर्मा ने बताया कि सुबह से ही पूजा-अर्चना और ‘आहुति’ का आयोजन किया गया। शोभायात्रा निकाली गई, जिसके बाद मां वाग्देवी (सरस्वती) की महाआरती की गई। शर्मा ने कहा कि यह परंपरा राजा भोज द्वारा वर्ष 1034 में शुरू की गई थी, जब उन्होंने मंदिर के गर्भगृह में मां सरस्वती की मूर्ति स्थापित की थी। इस वर्ष का उत्सव 991वां बताया गया। बसंत पंचमी के अवसर पर हिंदू समाज ने बड़े उत्साह के साथ अपनी परंपरा का पालन किया। गोपाल शर्मा ने कहा कि यह आयोजन हिंदू समाज के सांस्कृतिक और धार्मिक गौरव को बढ़ाने वाला है।

विवादित स्मारक और एएसआई सर्वे

  • भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच विवाद लंबे समय से जारी है।
  • 2003 के आदेश: एएसआई के आदेश के अनुसार, हिंदुओं को हर मंगलवार पूजा की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार नमाज अदा करने की।
  • हाईकोर्ट का आदेश: पिछले साल 11 मार्च को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एएसआई को वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था।
  • तीन माह तक चले इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट जुलाई 2024 में कोर्ट को सौंपी गई।
  • हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने इस व्यवस्था को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है।

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