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धार की भोजशाला सर्वे का आज 16वां दिन : ASI की टीम कर रही इन टूल्स का उपयोग, खुदाई में मिलीं सीढ़ियां; जानें क्या है अपडेट

धार। भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन धार की भोजशाला में ASI सर्वेक्षण का काम तेजी से चल रहा है। भोजशाला में आज सर्वे का 16वां दिन है। ASI के अधिकारियों सहित पूरी टीम ने सुबह 8 बजे परिसर में प्रवेश किया। जिसमें ASI के 20 अधिकारी और 31 मजदूर शामिल हैं। मजदूरों सहित हिंदू व मुस्लिम पक्षकार भी भोजशाला पहुंच चुके हैं। अब तक की खुदाई में ASI के अधिकारियों को सीढ़ियां मिली हैं।

इन टूल्स का किया जा रहा इस्तेमाल

भोजशाला में सर्वे के दौरान कई टूल्स का उपयोग किया जा रहा है। जिसमें लोहे की कंघी, प्लास्टिक की कंघी, प्लास्टिक के ब्रश, छोटी झाड़ू, छोटे-छोटे पाइप जैसे संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है। इसी के साथ वॉशिंग, क्लीनिंग और ब्रशिंग भी की जा रही है। वहीं, केमिकल की मदद भी ली जा रही है।

बता दें कि भोजशाला के मुख्य भवन के आसपास कुल 13 स्थानों पर टैंच से चिह्नित किया गया था, जिसमें से अभी 3 स्थानों पर ही मिट्टी खोदने का काम जारी है। आज भी इन स्थानों से छोटे-छोटे औजारों से मिट्टी हटाकर परीक्षण किया जाएगा।

15वें दिन क्या हुआ

एक दिन पहले यानी 5 मार्च को जुमे की नमाज होने के चलते 6 घंटे ही काम हो पाया था। ऐसे में आज 16वें दिन टीम के सदस्यों के पास शाम तक काम करने का समय है।

6 हफ्ते में देनी है रिपोर्ट

हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार एएसआई को 6 हफ्ते के अंदर धार भोजशला की रिपोर्ट देनी है। इसकी अगली सुनवाई 29 अप्रैल को है। ऐसे में अब सर्वे के काम को जल्दी किया जा रहा है। टीम में अलोक कुमार त्रिपाठी, अपर महानिदेशक, पुरातत्व विभाग व संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार सहित एएसआई के 25 सदस्य व 31 मजदूर शामिल हैं।

खुदाई में मिली तीन सीढ़ियां

एडवोकेट हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की राष्ट्रीय अध्यक्ष रंजना अग्निहोत्री और भोजशाला सर्वे प्रकरण की मूल याचिकाकर्ता ने बताया, भोजशाला में सर्वे का काम तेजी से चल रहा है। टीम ने 13 गड्ढे चिन्हित किए हैं, जिनमें से 3 में खुदाई चल रही है। वहीं, भोजशाला के गर्भगृह के पीछे एक पिलर का बेस मिला है। इसी के साथ तीन सीढ़ियां मिली हैं, अभी खुदाई जारी है।

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यह है भोजशाला से जुड़ा विवाद

भोजशाला का नाम राजा भोज के नाम पर है। धार के जिला प्रशासन की वेबसाइट पर भी यह जानकारी दी जाती है। इस स्थान को पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यूनिवर्सिटी माना जाता है, जिसमें वाग्देवी (सरस्वती) की प्रतिमा स्थित थी। हालांकि विवाद इस बात को लेकर हैं कि हिंदू पक्ष कहता है कि इसे मुस्लिम शासक ने मस्जिद में परिवर्तित कर दिया था। मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यह मुस्लिम धर्म स्थल है और वहां सालों से इबादत की जा रही है। हालांकि फिलहाल वाग्देवी की प्रतिमा लंदन के एक म्यूजियम में है।

यह है भोजशाला का इतिहास

हिंदू पक्ष का कहना है कि यह सरस्वती मंदिर है। सदियों पहले मुसलमानों ने यहां मौलाना जलालुद्दीन की मजार बनाई थी। भोजशाला में आज भी देवी-देवताओं के चित्र और संस्कृत में श्लोक लिखे हुए हैं। अंग्रेज भोजशाला में लगी वाग्देवी की प्रतिमा को लंदन लेगए थे। याचिका में भी यही कहा गया है कि भोजशाला हिंदुओं का उपासना स्थल है और नमाज के नाम पर भीतर के अवशेष मिटाए जा रहे हैं।

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