
नई दिल्ली। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसान आज फिर शंभू बॉर्डर दिल्ली कूच करेंगे। किसान मजदूर मोर्चा के कोआर्डिनेटर सरवन सिंह पंधेर का कहना है कि, हमने 7 दिसंबर को बातचीत के लिए समय दिया था। लेकिन किसानों को उनके मुद्दों पर बातचीत के लिए केंद्र सरकार की ओर से कोई न्योता नहीं आया। अब किसानों ने आगे बढ़ने का फैसला किया है। 101 किसानों का एक ‘जत्था’ शंभू बॉर्डर से 8 दिसंबर की दोपहर 12 बजे दिल्ली की ओर मार्च शुरू करेगा।
2 दिन पहले पुलिस ने हरियाणा में घुसने नहीं दिया
इससे पहले किसानों का जत्था शुक्रवार (6 दिसंबर) को दिल्ली की ओर निकला था, लेकिन शंभू बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। इस दौरान प्रदर्शनकारी किसानों ने पुलिस बैरिकेड्स तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश की। पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। पंजाब-हरियाणा सीमा पर सुरक्षाकर्मियों द्वारा आंसू गैस के गोले दागे जाने की वजह से कुछ किसान घायल हो गए थे। जिसके चलते प्रदर्शनकारी किसानों ने दिल्ली की ओर अपना पैदल मार्च स्थगित कर दिया था। इसके साथ ही कहा था कि, केंद्र के पास एक दिन का टाइम है। अगर उन्होंने बात नहीं कि तो वे 8 दिसंबर को दिल्ली कूच करेंगे।
किसानों की 13 मांगें
- सभी फसलों की एमएसपी पर खरीद की गारंटी का कानून बने।
- डॉक्टर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से कीमत तय हो।
- किसान और खेत में काम करने वाले मजदूरों का कर्जा माफ हो।
- 60 साल से ऊपर के किसानों को 10 हजार रुपए पेंशन दी जाए।
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 दोबारा लागू किया जाए।
- लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को सजा दी जाए।
- मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाई जाए।
- विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द किया जाए।
- मनरेगा में हर साल 200 दिन का काम और 700 रुपए दिहाड़ी दी जाए।
- किसान आंदोलन में मृत किसानों के परिवारों को मुआवजा और सरकारी नौकरी मिले।
- नकली बीज, कीटनाशक दवाइयां और खाद वाली कंपनियों पर कड़ा कानून बनाया जाए।
- मिर्च, हल्दी और अन्य मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए।
- संविधान की 5वीं सूची को लागू कर आदिवासियों की जमीन की लूट बंद की जाए।
पिछली बार 378 दिन चला था आंदोलन
- इससे पहले किसानों ने साल 2020 में तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन चलाया था।
- 17 सितंबर 2020 को किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन शुरू किया था।
- उस समय 378 दिनों तक आंदोलन चला था। साथ ही दावा किया गया था कि, इस दौरान 700 किसानों की मौत हुई थी।
- पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व पर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया था।
- पीएम के ऐलान के बाद 11 दिसंबर 2021 को किसानों ने आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया था।
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