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‘राममय’ अयोध्या : प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए तैयार… दुल्हन की तरह सजी राम नगरी

अयोध्या। राम भक्तों को वर्षों से जिस पल का इंतजार है, उसके लिए अयोध्या पूरी तरह से तैयार है। भव्य स्तर पर बहु-प्रतीक्षित राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन सोमवार को होगा। भव्य राम मंदिर को फूलों और विशेष रोशनी से सजाया गया है।

नारों वाले पोस्टर और होर्डिंग से पटा अयोध्या

प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए भव्य राम मंदिर को फूलों और विशेष रोशनी से सजाया गया है और पूरा शहर धार्मिंक रंग में रंगा हुआ है या यूं कहे कि ‘अयोध्या राममय हो रही है”। यह मंदिर नगरी ‘‘शुभ घड़ी आयी”, ‘‘तैयार है अयोध्या धाम, विराजेंगे श्री राम”, ‘‘राम फिर लौटेंगे”, ‘‘अयोध्या में राम राज्य” जैसे नारों वाले पोस्टर और होर्डिंग से पटा हुआ है।

राम मार्ग, सरयू नदी तट और लता मंगेशकर चौक जैसे अहम स्थानों पर रामायण के विभिन्न श्लोक वाले पोस्टर भी लगाए गए हैं। यहां विभिन्न स्थानों पर रामलीला, भगवत कथा, भजन संध्या और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। सरयू नदी का तट भी सजा-धजा है जहां हजारों लोग हर शाम को ‘‘आरती” के लिए उमड़ रहे हैं।

विदेशों में भी होगा विशेष उत्सव

भगवान राम की जन्म स्थली अयोध्या में प्राधिकारी तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं। इसके साथ ही देश और विदेश में इस अवसर पर विशेष उत्सव की घोषणा की गई है। वाशिंगटन डीसी से लेकर पेरिस और सिडनी तक दुनिया के विभिन्न हिस्सों में 22 जनवरी को कार्यक्रमों की घोषणा की गई है। ये कार्यक्रम 60 देशों में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) या हिंदू प्रवासी समुदाय द्वारा आयोजित किए जा रहे हैं।

प्राण प्रतिष्ठा के लिए 14 दंपति होंगे यजमान

भारत के विभिन्न हिस्सों से 14 दंपति ‘प्राण प्रतिष्ठा’ के लिए यजमान’ होंगे। इस समारोह के मद्देनजर अनुष्ठान 16 जनवरी को शुरू हुए थे और मंदिर न्यास के महासचिव चंपत राय के अनुसार ये अनुष्ठान 21 जनवरी को संपन्न होंगे। मैसूरु के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई रामलला की नई 51 इंच की मूर्ति को गुरुवार दोपहर को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया गया। एक कपड़े से ढकी आंखों के साथ नई मूर्ति की पहली तस्वीर शुक्रवार को जारी की गई।

मंदिर की विशेषताएं

मंदिर में प्रवेश पूर्वी दिशा से होगा और निकासी दक्षिण दिशा से होगी। मंदिर की पूरी संरचना तीन मंजिला होगी। श्रद्धालुओं को मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए पूर्वी दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़नी होगी। पारंपरिक नागर शैली में बना मंदिर परिसर 380 फीट लंबा (पूर्व-पश्चिम दिशा), 250 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा होगा। मंदिर की प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची होगी और उसमें कुल 392 स्तंभ और 44 द्वार होंगे।

चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मी तैनात

सरकार इस विशेष दिन के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है और शहर के चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। मंदिर नगरी के प्रत्येक मुख्य चौराहे पर कंटीले तारों वाले अवरोध लगाए गए हैं। भूकंप और बाढ़ जैसी घटनाओं के साथ ही रासायनिक, जैविक, रेडियोधर्मी और परमाणु हमलों से निपटने के लिए प्रशिक्षित राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) दलों को भी तैनात किया गया है।

प्रशासन ने ठंड के प्रकोप के मद्देनजर किसी भी स्वास्थ्य आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयारियां की हैं। अयोध्या और जिला अस्पतालों और यहां के मेडिकल कॉलेज में बिस्तरों को आरक्षित रखा गया है। एम्स के विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों में डॉक्टरों को आपात स्थिति से निपटने का प्रशिक्षण दिया है।

सुनाई देगी ‘मंगल ध्वनि’

अयोध्या में ‘प्राण प्रतिष्ठा’ से पहले करीब दो घंटे तक सुनाई देने वाली दिव्य ‘‘मंगल ध्वनि” में देशभर के 50 पारंपरिक वाद्य यंत्रों का उपयोग किया जाएगा। अयोध्या के प्रसिद्ध कवि यतींद्र मिश्र द्वारा संचालित इस भव्य संगीतमय प्रस्तुति को नई दिल्ली की संगीत नाटक अकादमी से सहयोग प्राप्त है।

‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ के अनुसार, यह संगीत प्रस्तुति सुबह 10 बजे शुरू होगी। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश से बांसुरी और ढोलक, कर्नाटक से वीणा, महाराष्ट्र से सुंदरी, पंजाब से अलगोजा, ओडिशा से मर्दला, मध्य प्रदेश से संतूर, मणिपुर से पुंग, असम से नगाड़ा और काली, छत्तीसगढ़ से तंबूरा, बिहार से पखावज, दिल्ली से शहनाई और राजस्थान से रावणहत्था बजाने वाले कलाकर शामिल होंगे। पश्चिम बंगाल के श्रीखोल और सरोद, आंध्र प्रदेश से घटम, झारखंड से सितार, तमिलनाडु से नादस्वरम और मृदंग, और उत्तराखंड से हुड़का कलाकर भी कार्यक्रम में भाग लेंगे।

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