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केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मनी, अमेरिका के बाद अब UN की टिप्पणी; कहा- सबके अधिकारों की रक्षा हो

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर जर्मनी और अमेरिकी के बाद अब यूएन की भी टिप्पणी सामने आई है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव स्टीफन दुजारिक ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि भारत में सभी के अधिकारों की रक्षा की जाएगी। भारत में चुनाव होने जा रहे है, ऐसे में सभी नागरिकों को निष्पक्ष माहौल में वोट डालने का मौका मिलना चाहिए। उन्होंने गुरुवार को एक नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह टिप्पणी की।

UN को भारत के लोगों के अधिकार की चिंता

दुजारिक ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर भारत में बने सियासी माहौल पर उनसे सवाल किया गया। इसके जवाब में UN के प्रवक्ता ने कहा कि हमें उम्मीद है कि भारत में हर किसी के अधिकारों की रक्षा की जाएगी, जिनमें राजनीतिक और नागरिक अधिकार शामिल हैं।

अमेरिका की टिप्पणी

अमेरिका ने पहले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को और बाद में अमेरिका ने कांग्रेस पार्टी के फ्रीज बैंक अकाउंट को लेकर अपनी राय व्यक्त की है। केजरीवाल की गिरफ्तारी मामले में अमेरिका ने बयान दिया था, हम अपने स्टैंड पर कायम हैं और इससे किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और कांग्रेस के बैंक खातों को सीज करने के मामलों पर अमेरिका करीबी नजर रखे हुए हैं। हम उम्मीद करते हैं कि मामले में निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

Us State Dept Spokesperson Matthew Miller

भारत ने अमेरिकी डिप्लोमैट को किया था तलब

बुधवार यानी 27 मार्च को ही इस मामले में भारत के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी डिप्लोमैट ग्लोरिया बारबेना को तलब किया था। उनके बीच करीब 40 मिनट तक बैठक हुई थी। इससे जुड़े एक सवाल पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा- मैं कूटनीतिक बातचीत की जानकारी नहीं दे सकता।

दरअसल, अमेरिका मंगलवार (26 मार्च) की रात को भी सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के मामले में बयानबाजी कर चुका है। उन्होंने कहा था कि, केजरीवाल की गिरफ्तारी के मामले पर हमारी सरकार नजर बनाए हुए है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। इस दौरान कानून और लोकतंत्र के मूल्यों का पालन किया जाना चाहिए। अमेरिका की टिप्पणी के बाद भारत ने बुधवार को इस मुद्दे को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया था।

अमेरिका और जर्मनी के बयान पर भारत दे चुका है कररा जबाव

यह बयान UN का उस वक्त आया है, जब भारत पहले ही अमेरिका और जर्मनी के केजरीवाल पर दिए गए बयानों को लेकर आपत्ति जता चुका है। गुरुवार की शाम यानी 28 मार्च को भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था, “भारत अपने देश की न्यायिक व्यवस्था में किसी की भी दखलंदाजी को बर्दाश्त नहीं करेगा। हमें अपनी कानूनी व्यवस्था पर गर्व है।”

जर्मनी ने क्या कहा था ?

इससे पहले 23 मार्च को इस मामले में जर्मनी का बयान भी सामने आया था। जर्मनी ने कहा था- ‘भारत एक लोकतांत्रिक देश है, हमें उम्मीद है कि यहां न्यायालय आजाद है। केजरीवाल के मामले में भी लोकतंत्र के उसूलों का पालन किया जाएगा, उन्हें बिना रुकावट कानूनी मदद मिलेगी। आरोपों का सामना करने वाले किसी भी व्यक्ति की तरह केजरीवाल भी निष्पक्ष सुनवाई के हकदार हैं। जब तक दोष साबित न हो तब तक किसी भी शख्स को निर्दोष मानने के कानूनी सिद्धांत का पालन होना चाहिए।’

जर्मनी के बयान के बाद भारत ने जर्मन दूतावास के उप प्रमुख जॉर्ज एन्जवीलर को तलब करके नाराज़गी जताई थी। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि, भारत के आतंरिक मामलों में दखलंदाजी न करें। हम इस तरह के बयानों को हमारी न्यायिक प्रक्रिया में दखल मानते हैं। इस तरह के बयान को हम हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करने के रूप में देखते हैं। भारत एक ताकतवर लोकतंत्र है, जहां कानून का पालन होता है। इस मामले (केजरीवाल की गिरफ्तारी) में भी दूसरे मामलों की तरह कानून के तहत कार्रवाई होगी।

21 मार्च को गिरफ्तार हुए थे CM केजरीवाल

शराब नीति घोटाला मामले में ईडी ने लगभग दो घंटे की पूछताछ के बाद अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को उनके आधिकारिक आवास से गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें शुक्रवार (22 मार्च) को राऊज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया, वे 28 मार्च तक ED की हिरासत में हैं। केजरीवाल ED कस्टडी से सरकार चला रहे हैं। उन्होंने कोर्ट में पेशी के समय कहा था कि वे इस्तीफा नहीं देंगे और जरूरत पड़ी तो जेल से सरकार चलाएंगे।

भारत बोला- सहयोगी देश हमारी कानूनी प्रक्रिया का सम्मान करें

केजरीवाल के मामले में भारत की नाराजगी के बावजूद अमेरिका ने अपने बयान को दोहराते हुए कहा था, “हम अपने स्टैंड पर कायम हैं और इससे किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। हम उम्मीद करते हैं कि इस मामले में निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रिया पूरी होगी।”

अमेरिका के इस बयान का विरोध करते हुए जायसवाल ने कहा था, “भारत की चुनावी और कानूनी प्रक्रिया पर किसी दूसरे देश की टिप्पणियां स्वीकार नहीं की जाएंगी। भारत में चुनावी प्रक्रिया कानून के शासन के हिसाब से चलती है। किसी भी सहयोगी देश, खासकर जो खुद लोकतांत्रिक है, उसे इस प्रक्रिया का सम्मान करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।”

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “आपसी सम्मान और विश्वास ही दो देशों के रिश्तों की नींव होती है। हम उम्मीद करते हैं कि सहयोगी देश हमारी संप्रभुता और हमारे आंतरिक मामलों का सम्मान करेंगे।”

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