मुंबई। वैसे तो किसी भी रिश्ते को मनाने के लिए उन रिश्तों को किसी तारीख की जरूरत नहीं है, लेकिन पिछले कई दशकों से रिश्तों को सेलिब्रेट करने के लिए भी एक तारीख निर्धारित कर दी गई हैं। आज 26 सितंबर को इंटरनेशनल डॉटर्स डे है, यानि बेटियों का दिन। अब बेटे और बेटियों के बीच की दरार कम होती दिख रही है। बॉलीवुड में भी कई ऐसी फिल्में हैं जो बेटियों पर आधारित हैं। इन फिल्मों में दिखाया गया है कि कैसे जरुरत पड़ने पर माता पिता अपनी बेटियों के लिए कभी गुरु बनते हैं तो कभी उन्हीं बेटियों की सुरक्षा के लिए मां काली का रूप ले लेते हैं।
अंग्रजी मीडियम
फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे इरफान अपनी इकलौती बेटी के सपने पूरे करने के लिए उसे विदेश भेज देता है। इस फिल्म में इरफान खान और राधिका मदान मुख्य भूमिका में थे। इस फिल्म में बाप-बेटी के खूबसूरत रिश्ते को दिखाया गया है। पूरी फिल्म में दिखाया गया है कि जब-जब उसकी बेटी को अपने पिता की जरुरत होती है, तब-तब वह अपनी बेटी के साथ खड़ा मिलता है।
दंगल
फिल्म में दिखाया गया कि आमिर खान का कोई बेटा नहीं होता, वह अपनी बेटियों को ही पहलवान बनाने का फैसला करता है। इस दौरान वह सामाजिक रुढियों को नजर आंदाज करते हुए अपनी बेटियों गीता और बबीता को देश के लिए पदक दिलाने लायक कुशल बनाता है। इस फिल्म ने कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। सिर्फ भारतीय ही नहीं बल्कि विदेशी धरती पर भी इस फिल्म को दर्शकों का प्यार मिला था। इस फिल्म में जिस तरह से पिता अपनी बेटियों के गुरु की भूमिका निभाते हैं वह दर्शकों के दिल को छू जाती है।
त्रिभंग
काजोल स्टारर फिल्म त्रिभंग की कहानी एक बिखरे हुए परिवार की स्टोरी है। ये फिल्म दिखाती है कि बच्चे चाहे कितना भी अपने माता-बाप से नफरत कर लें, लेकिन उनके मां बाप कभी भी उनसे नफरत नहीं कर सकते। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक बेटी पहले अपनी मां से नफरत करती है। लेकिन उसके कोमा में चले जाने के बाद वह पूरी तरह बदल जाती है।
थप्पड़
इस फिल्म में बेटियों पर हो रहे घरेलू हिंसा के मुद्दे को दिखाया गया है। तासपी पन्नू स्टारर और अनुभव सिन्हा द्वारा निर्देशित ये फिल्म पिता और बेटी के एक मजबूत रिश्ते को पूरी तरह से जस्टिफाई करती है। फिल्म में दिखाया गया कि जब बेटी के ऊपर उसका पति घरेलू हिंसा करता है, तब उसका पिता ही उसके साथ खड़ा होता है। यह फिल्म बाप बेटी के रिश्ते का एक खास पक्ष दिखाती है।
मॉम
बच्चों को खरोच भी आ जाए तो उसके माता पिता सहन नहीं कर पाते। श्रीदेवी की ये फिल्म एक ऐसी मां और बेटी की कहानी दर्शाती है। फिल्म में दिखाया गया कि जब श्रीदेवी की बेटी का रेप होता है तो वह मां काली का रूप धारण कर लेती है और एक एक गुनहगार से बदला लेती हैं। यह फिल्म दिखाती है कि अगर एक मां के बच्चे पर कोई आपत्ति आती है, तो वह खुद ही बेटी को न्याय दिलाने निकल पड़ती है।