
मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को आदेश दिया कि पिछले महीने पुणे में पोर्श कार दुर्घटना में शामिल 17 वर्षीय आरोपी को सुधार गृह से तुरंत छोड़ दिया जाए। इसके बाद उसे रिहा कर दिया गया है। दो जजों की पीठ ने किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) द्वारा नाबालिग को निगरानी गृह भेजने के आदेश को रद्द कर दिया। पीठ ने लड़के को छोड़ने का आदेश दिया और कहा कि वह याचिकाकर्ता चाची की देखरेख में रहेगा। अदालत ने कहा कि दुर्घटना के बाद लोगों की प्रतिक्रिया और सार्वजनिक आक्रोश के बीच आरोपी की उम्र पर विचार नहीं किया गया।
आरोपी पुनर्वास के दौर से गुजर रहा है : कोर्ट
पीठ ने कहा कि कोर्ट कानून, किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों से बंधा हुआ है। उसे अपराध की गंभीरता के बावजूद, कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी नाबालिग आरोपी के साथ वयस्क से अलग व्यवहार करना चाहिए। आरोपी पुनर्वास के दौर से गुजर रहा है जो कि प्राथमिक उद्देश्य है और उसे पहले ही मनोवैज्ञानिक के पास भेजा जा चुका है।