भोपालमध्य प्रदेश

मां की मौत के बाद नशे की जद में आया किशोर खो चुका था जीने की आस, सलाह मिलने के बाद अब बनना चाहता है कोरियोग्राफर

सीडब्ल्यूसी ने पहुंचाया नशा मुक्ति केन्द्र। एक साल पहले नमन रेलवे चाइल्ड लाइन की मदद से बाल कल्याण समिति भोपाल के पास पहुंचा था। उस वक्त नमन की हालत बहुत खराब थी।

भोपाल।  ‘नशा करते हुए मैंने अपनी जिंदगी के बहुत साल बेकार कर दिए। पहले पापा और फिर मम्मी की मौत के बाद मैं भागकर भोपाल आ गया। यहां कब नशा करने लगा मुझे खुद ढंग से याद नहीं। गुटखा बेचते हुए पुलिस वालों ने देखा, उसके बाद नशा मुक्ति केंद्र में रखा। इस एक साल में नशे से पूरी तरह बाहर आ गया हूं। अब मैं जीना चाहता हूं, कोरियोग्राफर बनना चाहता हूं। साथ ही मेरी तरह नशे का आदि होकर अपना जीवन खराब कर रहे लोगों को नशे से आजाद करना चाहता हूं।’

यह कहना है 18 वर्षीय नमन (परिवर्तित नाम) का। एक साल पहले नमन रेलवे चाइल्ड लाइन की मदद से बाल कल्याण समिति भोपाल के पास पहुंचा था। उस वक्त नमन की हालत बहुत खराब थी। यहां तक कि उसमेंसुसाइड टेंडेंसी के लक्षण भी नजर आए थे, लेकिन एक साल कोलार स्थित शुद्धि नशा मुक्ति केन्द्र में रहते हुए अब नमन पूरी तरह ठीक है। वह जीवन में कुछ कर दिखाने का जज्बा रखने लगा है। इसकी शुरूआत भी नशामुक्ति केन्द्र से ही हुई है। यहां नमन ने काम करना शुरू किया है। साथ ही वह अपने डांस के पैशन पर भी फोकस कर रहा है और आइडल प्रभु देवा की तरह कोरियोग्राफर बनना चाहता है।

बहुत बुरी थी हालत

शुद्धि नशा मुक्ति केन्द्र के संचालक राजीव तिवारी ने बताया कि एक साल पहले जब नमन को उनके सेंटर लाया गया था तो वह जैसे हड्डियों का ढांचा भर था। उसे भूख नहीं लगती थी। जीवन के प्रति उसका नजरिया निराशावादी था। लगातार, उसकी काउंसलिंग की गई और ट्रीटमेंट चला। राजीव तिवारी के मुताबिक अब नमन पूरी तरह बदल चुका है। मानो उसका पुनर्जन्म हो। वह पॉजिटिव एप्रोच रखता है और दूसरों को भी मोटिवेट करताहै।

35 से ज्यादा बच्चों को मिली नई जिंदगी

राजीव तिवारी ने बताया कि करीब दो साल पहले तत्कालीन कमिश्नर भोपाल, कल्पना श्रीवास्तव की पहल पर उनके सेंटर सहित एक अन्य सेंटर को निशुल्क खुशहाल नौनिहाल अभियान से जोड़ा गया था। इसके पहले बच्चों के लिए पृथक केंद्र की व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने बताया कि तब से अब तक करीब 50 बच्चे सेंटर में आ चुके हैं, जिनमें 35 से अधिक नशे की जद से पूरी तरह आजाद हो चुके हैं। बाकी बच्चों के नशा मुक्ति और पुनर्वास परकाम चल रहा है।

बच्चे में काफी सुधार हुआ है

बच्चे में काफी सुधार नजर आया है। उसने काम करने की इच्छा जताई है और समिति का भी यह अच्छा प्रयास है कि बच्चे की लगन को देखते हुए उन्होंने उसे संस्था में ही काम दिया है।

– डॉ. कृपाशंकर चौबे, सदस्य, सीडब्ल्यूसी

संबंधित खबरें...

Back to top button