धर्म

गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई से दश महाविद्या की आराधना, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 5:31 बजे

उज्जैन। साल में चार नवरात्र होती हैं इसमें से दो गुप्त नवरात्र होती हैं। हिंदू पांचाग के माघ और आषाढ़ मास में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त कहा जाता है। ये देवी की गुप्त शक्तियों की आराधना अर्थात् दश महाविद्याओं की पूजा-अर्चना का समय होता है।

ये दस महाविद्याएं हैं – मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगुलामुखी, मातंगी और कमला देवी। धार्मिक ग्रंथों में प्रसंग मिलते हैं कि दश महाविद्याओं का प्रदर्शन देवी सती ने महादेव के सामने किया था। ये दश महाविद्याएं उन्हीं का रूप हैं।

गुप्त नवरात्रि प्रमुख रूप से साधुओं और तांत्रिकों की नवरात्रि मानी जाती है, क्योंकि यह सिद्धि प्राप्ति का समय है। इस नवरात्र में आराधना गुप्त रूप से की जाती है और इसीलिए इसमें मानसिक पूजा का विशेष महत्व है। गुप्त नवरात्रि में देवी मां की शक्ति पूजा के नियम-विधान कठिन होते हैं। आराधना का समय उनका पालन किया जाना चाहिए।

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