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वन विभाग से छिनेंगे तालाब, सड़क और रोपणी जैसे बड़े निर्माण कार्य

कामों के निकाले जाएंगे टेंडर, मॉनिटरिंग विभाग करेगा, क्वालिटी खराब होने पर डीएफओ जिम्मेदार

पुष्पेन्द्र सिंह-भोपाल। प्रदेश में आचार संहिता लगने के पहले शासन ने फॉरेस्ट अफसरों के अधिकारों पर कैंची चला दी थी। आदेश के तहत विभाग के माध्यम से बनाए जा रहे स्टॉप डेम, सड़कें, वन चौकियां और नर्सरी सहित अन्य बड़े काम अब ठेकेदारों द्वारा कराए जाएंगे। इसके लिए विभाग अलग से निविदा बजट मद भी बना रहा है। वन विभाग ने निर्णय लिया है कि विभाग के ऐसे निर्माण अथवा मरम्मत संबंधी कार्य जिनकी लागत दो लाख रुपए तक है, उन्हें ही विभाग करा सकता है। ये कार्य टुकड़ों में नहीं बांटे जाएंगे। अधोसंरचना निर्माण के कार्य जैसे नए आवासीय और भवन निर्माण, वन चौकी, लाइन क्वार्टर, पुल, पुलिया, रपटा, स्टाप डेम, तालाब, आदि कामों के लिए टेंडर होंगे।

मॉनीटरिंग विभाग का अमला करेगा: आदेश में कहा है कि ठेकेदारों के कामों की मॉनिटरिंग विभागीय अमला करेगा। जिले के डीएफओ की जिम्मेदारी होगी कि कार्य की गुणवत्ता विभागीय मापदंडों के अनुसार हो।

ठेकेदार नहीं मिला तो काम विभाग को मिल जाएगा

शासन ने यह भी तय किया है कि दो बार टेंडर जारी करने के बाद भी ठेकेदार नहीं मिलता है तो कार्य विभागीय तौर पर कराए जाएंगे। टेंडर से कराए गए कार्यों का वेरिफिकेशन और भुगतान की प्रक्रिया ग्रामीण यांत्रिकी सेवा तथा लोक निर्माण विभाग से कराई जाएगी।

असर: नर्सरी के मजदूरों की हो सकती है छुट्टी

आदेश को लेकर नर्सरी में काम करने वाले मजदूरों की चिंता बढ़ गई है। विभाग के अंतर्गत करीब 172 नर्सरी हैं और इनमें 400 से अधिक मजदूर हैं। एक मजदूर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि उनका रोजगार छिन सकता है। मैदानी अफसरों को भी ठेका पद्धति पर आश्रित रहना पड़ेगा।

आदेश को लेकर शासन ने पुर्नविचार का अनुरोध करेंगे

विभाग के आदेश को लेकर जो भी भ्रम है, उसे दूर कर लिया जाएगा। मजदूरों का रोजगार नहीं छिने, इसके प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा शासन से अनुरोध करेंगे कि कार्यों को ठेका पद्धति पर देने के आदेश पर पुर्नविचार किया जाए। -पीके सिंह, पीसीसीएफ, अनुसंधान एवं विस्तार

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