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सीरिया में विद्रोहियों का कब्जा, बशर अल-असद का 24 साल पुराना शासन खत्म !

सीरिया में 24 सालों तक सत्ता में रहे राष्ट्रपति बशर अल-असद का शासन खत्म हो गया है। राजधानी दमिश्क पर विद्रोहियों के कब्जे के साथ ही सेना ने असद सरकार के पतन की घोषणा कर दी है। विद्रोहियों ने सरकारी भवनों, पुलिस मुख्यालय और टीवी नेटवर्क पर कब्जा करते हुए, दमिश्क को आजाद घोषित कर दिया है। रविवार को विद्रोहियों ने दावा किया कि असद राजधानी छोड़कर भाग गए हैं। सड़कों पर विद्रोही लड़ाके आजादी के नारे लगा रहे हैं, जबकि सेना और प्रशासन ने विद्रोहियों के दबाव में हथियार डाल दिए हैं। हालांकि, अभी असद सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन यह साफ है कि सीरिया अब एक नए राजनीतिक दौर की ओर बढ़ रहा है।

लड़ाकों ने दमिश्क को किया आजाद घोषित

सीरिया में जारी गृहयुद्ध के बीच विद्रोहियों ने प्रमुख शहर होम्स पर कब्जा करने के बाद राजधानी दमिश्क की ओर रुख किया। रविवार को विद्रोहियों ने दमिश्क पर कब्जा करते हुए देश को आजाद घोषित कर दिया। विद्रोहियों ने दावा किया कि सैदनाया सैन्य जेल सहित अन्य महत्वपूर्ण ठिकानों पर उनका नियंत्रण है। मिलिट्री ऑपरेशंस कमांड ने टेलीग्राम पर एक पोस्ट में लिखा, “हम बशर अल-असद से दमिश्क को आजाद घोषित करते हैं। दुनिया भर में विस्थापित सभी लोगों के लिए आजाद सीरिया आपका इंतजार कर रहा है।”

सीरिया के प्रधानमंत्री मोहम्मद गाजी अल-जलाली ने रविवार सुबह एक रिकॉर्डेड संदेश में कहा कि सरकार अब जनता द्वारा चुने गए किसी भी नेतृत्व के साथ सहयोग के लिए तैयार है।

अमेरिका ने बनाई दूरी

अगले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, “अमेरिका को सीरिया के संघर्ष में शामिल नहीं होना चाहिए। यह हमारी लड़ाई नहीं है।” डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान ने संकेत दिया है कि वह विद्रोहियों के प्रयासों में प्रत्यक्ष रूप से कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा।

क्यों शुरू हुई यह लड़ाई

सीरिया में 2011 में लोकतंत्र की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। बशर अल-असद की सरकार ने इन प्रदर्शनों को बलपूर्वक कुचल दिया। इसके बाद सशस्त्र विद्रोह शुरू हुआ। शुरुआती विद्रोही गुट छोटे और अलग-अलग विचारधाराओं के थे, लेकिन इनका एकमात्र उद्देश्य असद सरकार को हटाना था। विद्रोहियों को तुर्की, सऊदी अरब, यूएई और अमेरिका का समर्थन मिला, जबकि असद सरकार को रूस और ईरान का समर्थन प्राप्त था।

सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद।

आतंकी संगठनों की भूमिका

सीरिया में गृहयुद्ध के दौरान आतंकी संगठनों ने भी हस्तक्षेप किया। 2014 तक चरमपंथी समूहों और आईएसआईएस ने सीरिया के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। इस स्थिति ने वैश्विक चिंता बढ़ाई। अमेरिका के नेतृत्व में गठबंधन ने आईएसआईएस के खिलाफ अभियान चलाया। कुर्द लड़ाकों के गठबंधन सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस (एसडीएफ) ने आईएसआईएस के सफाए में अहम भूमिका निभाई।

2020 में हुआ था युद्धविराम

रूस और तुर्की ने 2020 में युद्धविराम पर सहमति जताई थी। हालांकि, सीरियाई सरकार अपने सभी इलाकों पर नियंत्रण नहीं पा सकी। विद्रोही गठबंधन की ताकत फिर से बढ़ी और उन्होंने बड़े शहरों पर कब्जा करना शुरू कर दिया।

विद्रोहियों ने बढ़ाई रणनीति

इस बार विद्रोही अधिक संगठित थे। उन्होंने अलेप्पो पर हमले से शुरुआत की और वहां तेजी से कब्जा किया। इसके बाद, उन्होंने हमा और होम्स शहरों की ओर रुख किया। दमिश्क पर कब्जा उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है। रूस, यूक्रेन युद्ध में व्यस्त है और वहीं ईरान, इजराइल के हमलों से जूझ रहा है। इन परिस्थितियों का विद्रोहियों ने फायदा उठाया।

विद्रोही गठबंधन की संरचना

नया विद्रोही गठबंधन हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के नेतृत्व में है। यह संगठन पहले अल-कायदा से जुड़ा हुआ था। तुर्की समर्थित फ्री सीरियन आर्मी और अन्य गुटों ने भी इसमें भाग लिया है। हालांकि, कुछ गुट एसडीएफ के खिलाफ लड़ चुके हैं, जिससे गठबंधन में मतभेद भी हैं।

क्या असद सरकार की वापसी संभव है?

रूस और सीरिया के विमानों ने विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्रों पर हमले शुरू कर दिए हैं। हालांकि, दमिश्क और अन्य प्रमुख इलाकों पर दोबारा कब्जा करना फिलहाल असद सरकार के लिए आसान नहीं है। सीरिया में सत्ता परिवर्तन क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीति पर असर डाल सकता है। अमेरिका और तुर्की विद्रोहियों का समर्थन कर सकते हैं, लेकिन रूस और ईरान की प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण होगी।

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