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26 साल से वर्ल्ड हेरिटेज के इंतजार में सिटी ऑफ जॉय मांडू…केंद्र ने यूनेस्को को फिर भेजा प्रस्ताव

राजीव सोनी- भोपाल। शैल-शिखरों की प्राकृतिक खूबसूरती, हरियाली, सैकड़ों वर्ष पुरानी वास्तुकला और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की नगरी सिटी ऑफ जॉय मांडू का वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल होने का इंतजार लंबा होता जा रहा। इसके लिए मांडू में सभी खूबियां हैं, पर जटिल प्रक्रिया के चलते यूनेस्को के वैश्विक मानचित्र का हिस्सा नहीं बन पा रहा।

मांडू, वर्ल्ड हेरिटेज की अस्थाई सूची 1998 से है, लेकिन परमानेंट सूची में शामिल होना बड़ी उपलब्धि होगा। साल भर में यूनेस्को देश के एक ही स्थल का चयन करता है। इस बार शिवाजी महाराज से जुड़े 18 किले ‘मिलिट्री फोर्स ऑफ महाराष्ट्र’ का औपचारिक ऐलान होना बाकी है। इसलिए लगता है कि मांडू को अभी एक-दो साल और इंतजार करना होगा। देश में पहली बार यूनेस्को ने मप्र के आधा दर्जन स्थलों को एक साथ अस्थाई सूची में शामिल किया है। केंद्र सरकार ने अब फिर से मांडू और रामराजा की नगरी ओरछा को वर्ल्ड हेरिटेज का तमगा दिलाने नया प्रस्ताव (डोजिएर) यूनेस्को भेजा है।

प्रदेश में अभी सांची, खजुराहो और भीमबैठका वर्ल्ड हेरिटेज हैं। भीमबैठका (2003) को सूची में शामिल करने के बाद नए स्थल का ऐलान नहीं हुआ। मांडू, भेड़ाघाट और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व सहित 10 स्थल सूची में जुड़ने के इंतजार में हैं।

प्रदेश के धार जिले में विंध्याचल पहाड़ी के सिरे पर बसी यह आनंद की खूबसूरत नगरी डेढ़ हजार साल पुरानी सांस्कृतिक धरोहर और मुगलकालीन वास्तुकला की अनूठी कलात्मक विरासत समेटे है। बारिश के दौरान इसकी खूबसूरती पूरे निखार पर रहती है। इसका जिक्र प्राचीन जहांगीरनामा से लेकर अकबरनामा में भी विस्तार से मौजूद है।

प्रमुख सचिव संस्कृति-पर्यटन शिव शेखर शुक्ला से सीधी बात

  • ‘वर्ल्ड हेरिटेज’ की सूची में मांडू कब तक शामिल हो जाएगा? – केंद्र सरकार के माध्यम से मांडू व ओरछा का डोजिएर यूनेस्को को हाल ही में भेजा है। देश से साल में एक ही स्थल का चुनाव होता है।
  • दावेदारी में मप्र के और भी स्थल हैं क्या? – देश में मप्र सबसे बड़ा दावेदार है। अस्थाई सूची में 6 स्थानों का होना ऐतिहासिक क्षण है। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और भेड़ाघाट भी कतार में है।
  • ‘वर्ल्ड हेरिटेज’ घोषित होने से क्या फर्क आएगा? – बड़ी उपलब्धि है, पूरी दुनिया में महत्व बढ़ जाएगा। देशी-विदेशी सैलानी आकर्षित होंगे। विरासत सहेजने की ड्यूटी बढ़ जाती है।

नेहरू-इंदिरा ने की थी सैर: देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी मांडू की सैर पर आ चुके हैं। नेहरू के साथ उनके दोनों नाती राजीव और संजय भी बचपन में यहां आए थे। मांडू के ईको पॉइंट पर नेहरू ने बोला था – राजीव पास होंगे कि फेल… इस पर आखिरी शब्द का ईको गूंजा…फेल..फेल। इसके बाद गाइड के कहने पर उन्होंने वाक्य बदला- राजीव फेल होंगे कि पास तो ईको गूंजा, पास..पास। यह सुनकर राजीव और संजय का चेहरा खिल उठा।

जितेंद्र, हेमा व गुलजार की पसंद: यहां के ‘रूपमति और जहाज महल’ सहित अन्य खूबसूरत इमारतों में कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। धर्मेंद्र, जितेंद्र, हेमा मालिनी, गुलजार और सलमान खान यहां की प्राकृतिक सुंदरता के दीवाने हैं।

तीन कैटेगरी की पात्रता: मांडू के पास तीन कैटेगरी की पात्रता मौजूद है। मानव जीवन, कला-संस्कृति, वास्तुशिल्प, मौसम विज्ञान, पदार्थ विज्ञान और निर्माण प्रौद्योगिकी सहित जल अभियांत्रिकी की प्राचीन विरासत यहां मौजूद है।

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