
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को राष्ट्रपति भवन में उद्यान उत्सव 2023 का उद्घाटन किया। उन्होंने यहां स्थित अमृत उद्यान समेत सभी उद्यानों को खोल दिया। यह उद्यान मंगलवार से जनता के लिए खोले जाएंगे। शनिवार 28 जनवरी 2023 को राष्ट्रपति मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन के ‘मुगल गार्डन’ का नाम बदलकर ‘अमृत उद्यान’ किया था। मोदी सरकार ने पिछले साल दिल्ली के ‘राजपथ’ का नाम बदलकर ‘कर्तव्य पथ’ कर दिया था। केंद्र सरकार का कहना है कि इन चीजों के नाम में बदलाव औपनिवेशिक मानसिकता के निशान को हटाने का प्रयास है।
साल में एक बार खुलता है गार्डन
यह उद्यान साल में एक बार जनता के लिए खोला जाता है। लोग इस बार 31 जनवरी से इस उद्यान को देखने जा सकते हैं। इस साल अमृत उद्यान 31 जनवरी (2023) से 26 मार्च तक सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक लोगों के लिए खुला रहेगा। 28 मार्च से 31 मार्च तक गार्डन विशेष वर्ग के लिए खुला रहेगा। किसानों के लिए 28 मार्च को, दिव्यांगों के लिए 29 मार्च, रक्षा, अर्द्धसैनिक बलों और पुलिसकर्मियों के लिए 30 मार्च को और आदिवासी महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों सहित महिलाओं के लिए 31 मार्च को उद्यान खुला रहेगा। अमृत उद्यान 15 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें 150 से अधिक किस्मों के गुलाब, और ट्यूलिप, एशियाई लिली, डैफोडील्स और अन्य सजावटी फूल हैं।
राष्ट्रपति भवन में इतने उद्यान

राष्ट्रपति भवन के उद्यान में ईस्ट लॉन, सेंट्रल लॉन, लॉन्ग गार्डन और सर्कुलर गार्डन शामिल हैं। पूर्व राष्ट्रपतियों डॉ एपीजे अब्दुल कलाम और रामनाथ कोविंद के कार्यकाल के दौरान, हर्बल-एक, हर्बल-दो, बोन्साई गार्डन और आरोग्य वनम नामक कई उद्यान विकसित किए गए थे। इस साल के उद्यान उत्सव में कई अन्य आकर्षणों के बीच, लोग 12 अनूठी किस्मों के विशेष रूप से उगाए गए ट्यूलिप देख सकेंगे। लोग अपने स्लॉट पहले से ही ऑनलाइन बुक कर सकते हैं। ऑनलाइन स्लॉट बुक नहीं करने वाले लोगों को भी उद्यानों में प्रवेश मिल सकता है। हालांकि, उन्हें सुविधा काउंटर के साथ-साथ राष्ट्रपति भवन के गेट नंबर 12 के पास कियोस्क पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। हालांकि, भीड़ से बचने के लिए ऑनलाइन स्लॉट बुक करना बेहतर होगा।
एडविन लुटियंस ने किया था डिजाइन

राष्ट्रपति भवन वास्तुकार सर एडविन लुटियंस ने डिजाइन किया था। 1911 में किंग जॉर्ज ने दिल्ली में एक भव्य दरबार आयोजित किया था। यहां उन्होंने राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली लाने की भी घोषणा की थी। लुटियंस और सर हर्बर्ट बेकर ने वायसराय हाउस और नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक को ‘नई दिल्ली’ के केंद्र में रखकर नई शाही राजधानी को आकार दिया। नई दिल्ली का आधिकारिक नाम 1926 में समने आया। आजादी के बाद, वायसराय हाउस राष्ट्रपति भवन बन गया और रायसीना हिल से इंडिया गेट तक फैले ‘किंग्स-वे’ का नाम बदलकर राजपथ कर दिया गया। शनिवार को मुगल गार्डन का नाम बदलने के बाद, राष्ट्रपति भवन सचिवालय ने भी अपनी वेबसाइट को अपडेट किया है, जिसमें प्रसिद्ध उद्यानों का संक्षिप्त इतिहास दिया गया है।
1928 में किया गया पौधरोपण

राष्ट्रपति भवन की वेबसाइट के मुताबिक 15 एकड़ में फैले अमृत उद्यान जम्मू कश्मीर के मुगल उद्यानों, ताजमहल के आसपास के उद्यानों और भारत व फारस की लघु चित्रकला से प्रेरित है। वेबसाइट के मुताबिक सर एडविन लुटियंस ने 1917 की शुरुआत में ही बगीचों के डिजाइन को अंतिम रूप दे दिया था। हालांकि, इसमें 1928-1929 के दौरान पौधे रोपे गए थे। लुटियंस के सहयोगी बागवानी के देशक विलियम मस्टो थे। लुटियंस ने उद्यानों में मुगल शैली और अंग्रेजी शैली की दो अलग-अलग बागवानी परंपराओं को एक साथ लेकर काम किया। मुगलकालीन नहरों, बगीचों और फूलों की क्यारियों को यूरोपीय शैली के फूलों के बगीचों, लॉन के साथ खूबसूरती से समाहित किया गया है। यहां के उद्यानों के गुलाब आज भी प्रसिद्ध हैं। उद्यानों में गुलाब की 159 किस्में उगाई जाती हैं, जो मुख्य रूप से फरवरी और मार्च के महीने में खिलते हैं। उद्यान में 101 प्रकार के बोगनवेलिया में से 60 किस्में हैं। बगीचे को ढकने वाली घास दूब घास है, जिसे मुगल गार्डन में रोपने के लिए मूल रूप से कलकत्ता (अब कोलकाता) से लाया गया था। राष्ट्रपति भवन के उद्यानों के रखरखाव के लिए 300 से अधिक कर्मचारी तैनात हैं।