नई दिल्ली। जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच मतभेद के बीच केंद्रीय कानून मंत्री का बड़ा बयान समने आया है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि आज जो सिस्टम चल रहा है उसपर कोई सवाल नहीं उठाएगा, ऐसा सोचना गलत है। रिजिजू दिल्ली बार एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
जनता चाहेगी तो फिर सरकार में आएंगे
रिजिजू ने कहा- मैंने कई बार सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, हाईकोर्ट के जजों के साथ बैठक में कहा- अगर मैं आज कानून एवं न्याय मंत्री के रूप में काम कर रहा हूं तो जनता चाहेगी तो चुनेगी वरना फिर से विपक्ष में बैठेंगे। लेकिन, जज एक बार जज बन गए तो उन्हें चुनाव का सामना तो करना नहीं है। जजों को तो पब्लिक स्क्रूटनी भी नहीं कर सकती है। जितने भी जज हैं, उन्हें जनता नहीं चुनती है। जनता उन्हें बदल नहीं सकती है। लेकिन जनता आपको देख रही है। जजों का काम करने का तरीका जनता और लोग देख रहे हैं। लोग इसका एसेसमेंट भी करते हैं।
#WATCH | "After becoming judges, they don't have to face elections or scrutiny by the public," says Union Law minister Kiren Rijiju pic.twitter.com/4aLPjLoGrk
— ANI (@ANI) January 23, 2023
सिस्टम में बदलाव भी जरूरी
रिजिजू ने कहा- आज जो सिस्टम चल रहा है, ऐसा नहीं है कि उस पर कोई सवाल नहीं उठा सकता। कई बार सिस्टम में बदलाव भी जरूरी होता है। हमारी सरकार और पहले की सरकारों ने जरूरत पड़ने पर संविधान के अनुच्छेद में भी बदलाव किया है। इसलिए कभी भी बदलाव को नकारात्मक तरीके से ही नहीं देखना चाहिए।
कॉलेजियम पर चल रहीं बातें निराधार
रिजिजू ने कहा कि कॉलेजियम को लेकर जो बातें आज चल रही हैं, वो निराधार हैं। न्यायपालिका का एक ही उद्देश्य होना चाहिए कि आम आदमी और न्याय के बीच कोई दूरी नहीं रह जाए। जहां तक बात आपस में मतभेद की है तो मतभेद तो होते ही रहते हैं। उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ ये कहना चाहता हूं कि अगर कोई किसी चीज का विरोध करे तो उसका आधार जरूर होना चाहिए।
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सवालों से पीछे नहीं हटती सरकार
केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि मैंने विपक्ष के सांसद के रूप में भी काम किया। उस समय सोशल मीडिया नहीं था। इतनी डिबेट डिस्कशन का मौका नहीं था। सिर्फ गिने चुने लोग ही रहते थे। वही टीवी डिबेट में भी हिस्सा लेते थे, अखबारों में भी छपते थे। आम आदमी के लिए कोई प्लेटफॉर्म नहीं था। है पब्लिक को कहां सरकार से सवाल का मौका मिलता था। आज तो हर नागरिक सरकार से सवाल पूछता है। सवाल पूछना भी चाहिए। चुनी हुई सरकार से सवाल नहीं करेंगे तो किससे करेंगे। सरकार पर सवालों से हम पीछे नहीं हटते हैं।
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