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सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव को बताया लोकतंत्र की हत्या, पीठासीन अधिकारी पर चलेगा मुकदमा

नई दिल्ली। चंडीगढ़ में हाल ही में हुए मेयर चुनाव को लेकर BJP और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच सियासी पारा चढ़ा हुआ है। AAP ने मेयर चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सोमवार को सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ ने चुनाव कराने वाले रिटर्निंग ऑफिसर को जमकर लताड़ लगाते हुए कहा कि वीडियो में साफ दिख रहा है कि मतपत्रों के साथ गड़बड़ी की गई है। उन पर मुकदमा चलना ही चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने अपनी टिप्पणी में कहा कि, “हम हैरान हैं। क्या किसी रिटर्निंग ऑफिसर का ऐसा रवैया बर्दाश्त करने लायक है? इतना बोलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट पर भी नाराजगी जाहिर की और दो टूक कहा कि वे सही तरह से चुनाव नहीं करवा पाए।”… अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी को होगी।

अगली बैठक भी की गई स्थगित

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चंडीगढ़ मेयर चुनाव के दौरान उपयोग हुए सभी मतपत्रों, वीडियोग्राफी और अन्य सामग्री सहित चुनाव प्रक्रिया का पूरा रिकॉर्ड मांगा है। उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को इसे पेश करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी को चंडीगढ़ में होने वाली नगर निकाय की पहली बैठक को भी अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने का आदेश दिया है।

यह है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट सोमवार को आप पार्षद कुलदीप सिंह की ओर से पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ में नए मेयर चुनाव की मांग करने वाली पार्टी को कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। दरअसल चंडीगढ़ में आप और कांग्रेस गठबंधन के 20 पार्षद थे. जबकि बीजेपी के पास केवल 16 पार्षद थे। इसके वावजूद आप-कांग्रेस गठबंधन चुनाव हार गया था। इस चुनाव के दौरान पीठासीन अधिकारी बनाए गए अनिल मसीह ने 36 में से आठ वोटों को अवैध घोषित कर दिया। इस तरह बीजेपी प्रत्याशी मनोज सोनकर 16 वोट पाकर चुनाव जीते गए थे। इस चुनाव का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल भी हुआ था।

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