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Chaitra Navratri 2025 : चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन ऐसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें विधि-महत्व और शुभ मुहूर्त

Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि 2025 का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है। देवी का यह स्वरूप साधना, तपस्या और संयम का प्रतीक है। भक्त मां की पूजा कर अपने जीवन में धैर्य, ज्ञान और सफलता प्राप्त करते हैं। आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त।

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप और महत्व

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत दिव्य और तेजस्वी है। उनके एक हाथ में जप माला और दूसरे हाथ में कमंडल रहता है। देवी का यह रूप कठोर तपस्या का प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हजारों वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। इस कारण इन्हें ‘तपस्चारिणी’ और ‘ब्रह्मचारिणी’ नाम मिला। ‘ब्रह्रा’ का मतलब घोर तपस्या से है और ‘चारिणी’ का अर्थ होता है आचरण से। यानी माता का दूसरा स्वरूप तप का आचरण करने से होता है।

माना जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में संयम, धैर्य और आत्मबल की वृद्धि होती है। जो साधक नवरात्रि के इस दिन विधिपूर्वक माता की पूजा करते हैं, वे सभी प्रकार की मानसिक परेशानियों से मुक्त होते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।

शुभ मुहूर्त और तिथि

चैत्र नवरात्रि 2025 के दूसरे दिन, 31 मार्च 2025 को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी।

अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11:36 से 12:24 बजे तक

विजय मुहूर्त: दोपहर 2:30 से 3:18 बजे तक

संध्या पूजा मुहूर्त: शाम 6:45 से 8:15 बजे तक

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए नीचे दिए गए विधि-विधान का पालन करें:

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें। इसके बाद मंदिर को अच्छे से साफ करें।
  • पूजा करने के लिए सबसे पहले आसन बिछाएं इसके बाद आसन पर बैठकर मां की पूजा करें।
  • देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करें।
  • माता को फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि चढ़ाएं।
  • ब्रह्मचारिणी मां को भोगस्वरूप पंचामृत चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं। साथ ही माता को पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें।

मां ब्रह्मचारिणी के प्रिय भोग : मां ब्रह्मचारिणी को सफेद मिठाई, मिश्री और शक्कर से बने प्रसाद अर्पित करना शुभ माना जाता है। आप घर पर चीनी या दूध से बनी बर्फी तैयार कर सकते हैं और इसे मां को भोग लगा सकते हैं।

बर्फी बनाने की विधि:

  • एक पैन में घी गर्म करें और उसमें खोया डालकर धीमी आंच पर भूनें।
  • जब मिश्रण हल्का भूरा हो जाए, तो उसमें चीनी मिलाएं और चलाते रहें।
  • मिश्रण जब गाढ़ा हो जाए तो इसे एक घी लगी प्लेट में निकालकर ठंडा करें।
  • अपनी पसंदीदा शेप में काटकर इसे मां को अर्पित करें।

मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान मंत्र

पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करना शुभ और फलदायी होता है:

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से होने वाले लाभ

  • मां की कृपा से व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति मिलती है।
  • विद्यार्थी और ज्ञान सीकर्स के लिए यह पूजा अत्यंत लाभकारी होती है।
  • साधक को आध्यात्मिक मार्ग पर सफलता मिलती है।
  • मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।

नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा

नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है।

  • पहला दिन (30 मार्च) : माता शैलपुत्री की पूजा
  • दूसरा दिन (31 मार्च) : माता ब्रह्मचारिणी की पूजा
  • तीसरा दिन (1 अप्रैल) : माता चंद्रघंटा की पूजा
  • चौथा दिन (2 अप्रैल) : माता कूष्मांडा की पूजा
  • पांचवा दिन (3 अप्रैल) : माता स्कंदमाता की पूजा
  • छठा दिन (4 अप्रैल) : माता कात्यायनी की पूजा
  • सातवां दिन (5 अप्रैल) : माता कालरात्रि की पूजा
  • आठवां दिन (6 अप्रैल) : माता महागौरी की पूजा
  • नौवां दिन (7 अप्रैल) : माता सिद्धिदात्री की पूजा और रामनवमी का पर्व

नवरात्रि के दौरान क्या करें?

  • रोज़ाना मां दुर्गा की पूजा और आरती करें।
  • व्रत रखें और सात्विक भोजन करें।
  • नौ दिनों तक अखंड ज्योत जलाएं।
  • कन्या पूजन और हवन करें।
  • जरूरतमंद लोगों की मदद करें।

चैत्र नवरात्रि का महत्व

चैत्र नवरात्रि का महत्व धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टियों से बहुत अधिक है। माना जाता है कि इन नौ दिनों में मां दुर्गा की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस दौरान व्रत और पूजा करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)

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