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Narak Chaturdashi : नरक चतुर्दशी के दिन क्यों मनाई जाती है छोटी दिवाली? जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

धर्म डेस्क। आज यानी 30 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी है और इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। हर साल यह पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। दिवाली से एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाई जाती है। दिवाली के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन किया जाता है। वहीं छोटी दिवाली के दिन यमराज की भी पूजा की जाती है। छोटी दिवाली के दिन श्रीकृष्ण की उपासना भी की जाती है क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर का वध किया था।

नरक चतुर्दशी शुभ मुहूर्त

  • कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि आरंभ: 30 अक्टूबर, दोपहर 01:16 मिनट पर
  • कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि समाप्त: 31 अक्टूबर, दोपहर 03:52 मिनट पर
  • अमृत काल: 30 अक्टूबर, दोपहर 02:56 मिनट से शाम 04:45 मिनट तक

छोटी दिवाली का महत्व

  • अंधकार पर प्रकाश की जीत: यह त्योहार हमें अंधकार पर प्रकाश की जीत की याद दिलाता है।
  • यमराज की पूजा: इस दिन यमराज की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • नए साल की शुरुआत: कुछ जगहों पर छोटी दिवाली को नए साल की शुरुआत माना जाता है।

नरक चतुर्दशी के दिन क्यों मनाई जाती है छोटी दिवाली?

नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है। इसे अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं और यमराज की पूजा करते हैं। नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली के रूप में मनाए जाने के पीछे कई पौराणिक कारण हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं-

नरकासुर का वध: सबसे प्रचलित कथा भगवान श्रीकृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा से जुड़ी है। नरकासुर नामक एक राक्षस ने पृथ्वी पर आतंक मचाया हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण ने सत्यभामा के साथ मिलकर नरकासुर का वध किया और देवताओं को मुक्ति दिलाई। इसी खुशी में नरक चतुर्दशी मनाई जाती है।

यमराज की पूजा: इस दिन यमराज की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन यमराज पृथ्वी पर आते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। इसलिए लोग यमराज को प्रसन्न करने के लिए दीपदान करते हैं और अन्य पूजा-पाठ करते हैं।

अंधकार पर प्रकाश की जीत: नरक चतुर्दशी को अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक भी माना जाता है। इस दिन दीप जलाकर घरों को रोशन किया जाता है, जो अंधकार को दूर करने और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

छोटी दिवाली पूजा विधि

  • छोटी दिवाली को रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन अगर आप सुबह तिल का तेल लगाकर स्नान करते हैं तो भगवान कृष्ण के आशीर्वाद से आपको रूप और सौन्दर्य की प्राप्ति होती है।
  • इस दिन भगवान कृष्ण और यमदेव के साथ-साथ हनुमानजी की भी पूजा की जाती है। इस दिन हनुमानजी की पूजा का विशेष महत्व है।
  • इस दिन स्नान के बाद धूप-दीप जलाकर हनुमान जी की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।
  • इस दिन लोग हनुमान चालीसा और हनुमान जी की आरती करते हैं और फिर हनुमान जी को भोग लगाते हैं।
  • इस दिन शाम को घर के प्रवेश द्वार पर चार दिशाओं वाला आटे का दीपक जलाया जाता है जिसे यम दीपक कहा जाता है।
  • यह दीपक दक्षिण मुखी सामने वाले दरवाजे पर होनी चाहिए।

(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)

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