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बर्थ एनिवर्सरी: चाय के कप धोने से लेकर हॉलीवुड तक का सफर किया तय, संघर्ष से भरी थी ओम पुरी की जिंदगी

मुंबई। बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक में दमदार अभिनय कर देश-विदेश में अपनी काबिलियत का लोहा मनवाने वाले ओम पुरी आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। 18 अक्टूबर 1950 को जन्मे ओम पुरी आज भले ही इस दुनिया में नहीं रहे, लेकन उनकी दमदार आवाज और कलाकारी आज भी लोगों के दिलों में बसती है। एक टी स्टॉल में बर्तन धोने से लेकर फिल्मी दुनिया में तहलका मचाने तक का ओम पुरी का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है।

ओमपुरी का बचपन

साल 1950 को हरियाणा के अंबाला में जन्मे ओमपुरी का पूरा नाम ओम राजेश पुरी था, चार साल पहले साल 2017 में उनका निधन हो गया था। पंजाबी परिवार में जन्मे ओम पुरी के पिता रेलवे में काम करते थे। लेकिन, उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। जिसकी वजह से उनका बचपन बेहद तंगहाल में गुजरा था और वो कई सारे अलग-अलग तरह के काम करते थे। ओमपुरी ने कोयला बीनने और टी स्टॉल्स में बर्तन धोने तक का काम किया।

6 साल की उम्र में किया काम

एक बार अनुपम खेर के शो में उन्होंने बताया कि 6 साल की उम्र में अपनी जिंदगी को चलाने के लिए वो चाय के ग्लास धोते थे। उनका बचपन काफी गरीबी में बीता है और उनको सफलता बड़े संघर्ष बाद हासिल हुई है।

स्कूल के दिनों से अदाकारी का शौक

फिल्मों में आने से पहले ओमपुरी सरकारी नौकरी करते थे। ओमपुरी ने अभिनय की दुनिया में कदम रखने के लिए कॉलेज के असिस्टेंट लाइब्रेरियन की नौकरी छोड़ी थी। ओमपुरी को स्कूल के समय से ही अभिनय करना पसंद था। वह अपने स्कूल फंक्शन में हिस्सा लिया करते थे। इसके बाद ओमपुरी अपने कॉलेज के थिएटर से जुड़ गए। ओमपुरी के अभिनय को देखने के बाद हरपाल टिवाना ने उन्हें अपने थिएटर ग्रुप से जुड़ने की पेशकश की।

आत्मविश्वास की थी कमी

हॉलीवुड तक में अदाकारी करने वाले ओम पुरी की अंग्रेजी बहुत अच्छी नहीं थी। यहां तक कि उनकी हिंदी भी ज्यादा बेहतर नहीं थी। उनकी शिक्षा पंजाबी भाषा में हुई थी। जब वो नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा पहुंचे थे तो उनमें काफी आत्मविश्वास की कमी थी। आत्मविश्वास न होने की वजह से एक वक्त वो तय कर बैठे थे कि वो अब आगे अभिनय नहीं करेंगे। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था।

मराठी फिल्म में अदाकारी से करिअर की शुरूआत

ओम पुरी ने पुणे फिल्म संस्थान से अपनी पढ़ाई खत्म की और लगभग डेढ़ वर्ष तक एक स्टूडियो में अभिनय की शिक्षा दी। जिसके बाद उन्होंने निजी थिएटर ग्रुप ‘मजमा’ की स्थापना की। एक्टर ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत मराठी फिल्म ‘घासीराम कोतवाल’ से की थी। फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिए ओम पुरी बेहतरीन सहायक अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किए गए।

इस फिल्म से मिली खास पहचान

‘आक्रोश’ ओम पुरी के लिए एक वरदान बनकर आई। फिल्म में अपने दमदार अभिनय के लिए ओम पुरी बेहतरीन सहायक अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किए गए। उसके बाद ओम ने कई सफल फिल्मों में काम किया, साथ ही छोटे पर्दे पर भी अपना जलवा बिखेरा।

कामर्शियल फिल्म भी बनाई

ओम पुरी को फिल्म ‘आरोहण’ और ‘अर्ध सत्य’ के लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल अवार्ड भी मिला। उन्होंने समानांतर सिनेमा में काम करने के साथ ही कई व्यावसायिक फिल्मों में भी काम किया, जिसमें मिर्च मसाला, जाने भी दो यारों, चाची 420, हेराफेरी, मालामाल वीकली आदि शामिल हैं।

अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों में काम किया

चार दशक से भी ज्यादा लंबे करियर में ओम पुरी ने हिंदी और अंग्रजी से लेकर कन्नड़ और पंजाबी सिनेमा में काम किया और हर जगह अपनी एक अलग छाप छोड़ी है। उन्होंने ऑस्कर विनिंग फिल्म गांधी में छोटा सा किरदार निभाया था। ओमपुरी ने हॉलीवुड की ‘ईस्ट इज ईस्ट’, ‘सिटी ऑफ जॉय’, ‘वुल्फ’ जैसे फिल्मों में काम किया।

दो शादी की

ओम पुरी ने पहली शादी सीमा से की। 1983 में नंदिता पुरी से दूसरी शादी की और 2016 में दोनों अलग-अलग हो गए, दोनों का एक बेटा ईशान है।

अपनी मौत की भविष्यवाणी की

ओम पुरी ने एक बार एक इंटरव्यू में कहा था कि ”मृत्यु का तो आपको पता भी नहीं चलेगा। सोए-सोए चल देंगे। (मेरे निधन के बारे में) आपको पता चलेगा कि ओम पुरी का कल सुबह 7 बजकर 22 मिनट पर निधन हो गया” और ये कहकर वो हंस दिए। हुआ भी कुछ ऐसा ही था। 6 जनवरी 2017 की सुबह ओम पुरी का निधन हो गया।

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