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पहलवानों के आंदोलन से अलग हुईं साक्षी मलिक, रेलवे की नौकरी पर लौटीं; दावा- नाबालिग रेसलर ने भी वापस लिए आरोप

नई दिल्ली। भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल रेसलर साक्षी मलिक वापस लौट गईं हैं। वो अपनी रेलवे की नौकरी पर वापस लौट गई हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने बृजभूषण के खिलाफ आंदोलन से भी नाम वापस ले लिया है।

क्या है पूरा मामला

कुश्ती संघ के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया के नेतृत्व में तमाम पहलवानों ने मोर्चा खोल रखा था। ये पहलवान जंतर-मंतर पर 23 अप्रैल से धरना दे रहे थे। पहलवानों ने बृजभूषण शरण पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। इससे पहले भी पहलवानों ने जनवरी में बृजभूषण सिंह के खिलाफ धरना दिया था। हालांकि, तब खेल मंत्रालय के दखल के बाद पहलवान वापस लौट गए थे।

नाबालिग ने वापस लिया बयान

दावा किया जा रहा है कि, बृजभूषण पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली नाबालिग रेसलर बयान से पलट गई है। कहा जा रहा है कि, नाबालिग ने दिल्ली के कनॉट प्लेस पुलिस थाने में बयान दिए। इसके बाद उसे पटियाला हाउस कोर्ट ले जाया गया, जहां उसने बयान वापस ले लिए।

भाजपा सांसद के खिलाफ दो मामले दर्ज

जानकारी के मुताबिक, 7 पहलवानों ने 21 अप्रैल को कनॉट प्लेस थाने में बृजभूषण के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। 28 अप्रैल को दिल्ली पुलिस ने इन शिकायतों के आधार पर बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न के दो मामले दर्ज किए। पहली एक नाबालिग द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित है, जिसे यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के साथ भारतीय दंड संहिता की प्रासंगिक धाराओं के तहत दर्ज किया गया है। वहीं, दूसरी FIR अन्य पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों से संबंधित है।

बृजभूषण शरण सिंह पर FIR में लगे ये आरोप

दोनों एफआईआर में आईपीसी की धारा 354 (महिला की लज्जा भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग), 354ए (यौन उत्पीड़न), 354डी (पीछा करना) और 34 (सामान्य इरादे) का हवाला दिया गया है। जिसमें एक से तीन साल की जेल की सजा है। एक प्राथमिकी में 6 पहलवानों के आरोप शामिल हैं और इसमें डब्ल्यूएफआई सचिव विनोद तोमर का भी नाम है।

दूसरी एफआईआर एक नाबालिग के पिता की शिकायत पर आधारित है और POCSO अधिनियम की धारा 10 को भी लागू करती है, जिसमें पांच से सात साल की कैद होती है। जिन घटनाओं का जिक्र किया गया है, वे कथित तौर पर 2012 से 2022 तक भारत और विदेशों में हुईं।

नाबालिग ने अपनी शिकायत में कही थी ये बात

आरोपी ने कस कर पकड़ लिया, तस्वीर खिंचवाने का नाटक किया, अपनी ओर खींचा, कंधे पर जोर से दबाया और फिर जानबूझकर उसके शरीर को गलत तरीके से छुआ।

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