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मप्र मेरी सुकून भूमि, यहां फिल्म सिटी व फिल्म इंस्टीट्यूट खुलना चाहिए : रणदीप

रवींद्र भवन में ‘विरासत’ का आयोजन, जयलक्ष्मी ईश्वर और स्वस्ति मेहुल ने दी प्रस्तुति

प्रकृति, संस्कृति और विकास का तालमेल मप्र में चल रहा है। सीएम डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश संतुलन बनाकर आगे बढ़ा रहा है। मैं हरियाणा से हूं, जहां कुरूक्षेत्र में भगवान कृष्ण ने गीता का पाठ पढ़ाया और आज मैं मप्र आया हूं, जहां उन्होंने अपने गुरुओं से वह पाठ सीखा था, जिसके लिए मैं अपने आपको सौभाग्यशाली मानता हूं। यह कहना था, बॉलीवुड अभिनेता रणदीप हुड्डा का। वे रवींद्र भवन में आयोजित ‘विरासत: कलाओं की विविधता का उत्सव’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं हमेशा कहता हूं, हरियाणा मेरी जन्मभूमि है, मुंबई, महाराष्ट्र मेरी कर्मभूमि है और जब से मैं मप्र आने लगा हूं, तब से मप्र मेरी सुकून भूमि है।

यहां की प्रकृति, पर्यटन, वाइल्ड लाइफ टूरिज्म आगे बढ़ता रहे, मैं इसके साथ जुड़ना चाहूंगा। मेरी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से बात हुई कि यहां पर फिल्म सिटी बननी चाहिए और फिल्म इंस्टीट्यूट भी खुलना चाहिए, ताकि यहां की प्रतिभाओं को फिल्मों में आने का प्रोत्साहन मिल सके और देश ही नहीं विदेश से भी लोग मप्र आकर फिल्म सिटी में शूटिंग करें। यहां की अलग-अलग टोपोग्राफी को अपने कैमरे में उतार सकें।

रातों-रात नहीं मिली प्रसिद्धि, बचपन से मेहनत की : स्वस्ति

लोगों को लगता है कि मैंने कम समय में प्रसिद्धि हासिल की, लेकिन ऐसा नहीं है। मैंने बचपन से संगीत सीखा और जब मैं 16 साल की थी तब 25 हजार श्रोताओं के बीच परफॉर्म किया। यह कहना था, राम आएंगे तो अंगना… गीत की गायिका स्वस्ति मेहुल का। वे रवींद्र भवन सभागार में प्रस्तुति देने के लिए मौजूद थीं। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रोता उन्हें सुनने के मौजूद थे। इस मौके पर उन्होंने आईएम भोपाल से बात की। स्वस्ति ने बताया कि जब मुझे पता चला कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव होने वाला है तो मैंने सोचा कि ऐसा गीत लिखूं और गाऊं, जिसे सुनकर सभी के मन में भक्ति के भाव जाग जाएं। मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब पीएम मोदी ने एक्स हैंडल पर मेरे गीत की तारीफ की। मैंने ग्वालियर घराने की परंपरा में पं. मीता पंडित से संगीत सीखा और बचपन में मेरे भाई ने संगीत सिखाया।

जयलक्ष्मी ने दी नृत्य- नाट्य ‘मप्र : स्वर की समता’ की प्रस्तुति

नई दिल्ली की जयलक्ष्मी ईश्वर के निर्देशन में नृत्य-नाट्य ‘मप्र: स्वर की समता’ की प्रस्तुति दी गई। इस नृत्य-नाटक में मंच पर 13 आर्टिस्ट्स ने प्रस्तुति दी। निर्देशक जयलक्ष्मी ईश्वर ने बताया कि यह सभी आर्टिस्ट्स सभी दिल्ली में रहते हैं, हालांकि, सभी अलग-अलग राज्यों के रहने वाले हैं। जयलक्ष्मी मूलत: तमिलनाडु की रहने वाले हैं। वहीं, अन्य आर्टिस्ट्स प. बंगाल, केरल, पंजाब, राजस्थान की रहने वाले हैं। प्रस्तुति में उन्होंने मप्र की सांस्कृतिक विरासत को पेश किया। इसमें खजुराहो, सांची, ओमकारेश्वर व महाकाल मंदिर आदि को दिखाया।

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