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परलोक सिधार चुके संत-महात्माओं का संदेश बटोर रहा सुर्खियां!

अयोध्या के श्रीराम जन्म भूमि ट्रस्ट के होर्डिंग में मंदिर आंदोलन के दिवंगत नेता कह रहे- हम सभी यहीं हैं...

अयोध्या से राजीव सोनी। देश में राम मंदिर आंदोलन खड़ा करने वाले चमत्कारी संत देवरहा बाबा, परमहंस रामचंद्र दास जी महाराज, संघ प्रमुख रज्जू भैया, राजमाता विजयाराजे सिंधिया और अशोक सिंघल जैसे संत- महात्मा अपने जीवन काल में राम मंदिर बनता हुआ नहीं देख पाए। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के मौके पर ये सभी दिवंगत भी राम भक्तों का स्वागत कर रहे हैं। यह भी कह रहे हैं -‘हम सब यहीं हैं।’ उनका यह विस्मयकारी संदेश पढ़कर सब हैरान हो रहे हैं। अयोध्या में यह होर्डिंग चर्चा का विषय बना हुआ है।

दरअसल श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अयोध्या ने इन दिवंगत संत-महापुरुषों के हवाले से यह संदेश जारी करते हुए रामनगरी के मुख्य क्षेत्रों में बड़े-बड़े होर्डिंग लगा दिए हैं। राम मंदिर ट्रस्ट ने संभवत: उनके प्रति आभार जताने और उन्हें याद करने का यह अनूठा तरीका अपनाया है। ट्रस्ट के अलावा अशोक सिंघल फाउंडेशन और विश्वहिंदू परिषद के सूत्रों का कहना है कि इन सभी ने राम मंदिर आंदोलन की नींव खड़ी की थी। इन सभी के बारे में बताया जा रहा है कि इन्होंने भले शरीर छोड़ दिया हो, लेकिन ये सूक्ष्म रूप में आज भी हमारे बीच मौजूद हैं।

बैक-बोन रहे राजमाता सिंधिया और सत्यमित्रानंद गिरि

आंदोलन के प्रमुख नायक अशोक सिंघल को अयोध्या का पथिक बताया गया है। मंदिर आंदोलन में मध्यप्रदेश की दो महान शख्सियत भी हैं जिन्हें मंदिर आंदोलन की बैक-बोन के रूप में याद किया जा रहा है। इनमें निवृत्त शंकराचार्य रहे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि और राजमाता विजयाराजे सिंधिया शामिल हैं।

होर्डिंग में ये भी हैं: देवर्षि देवरहा बाबा, शंकराचार्य स्वामी शांतानंद सरस्वती, महंत अवैद्यनाथ, परमहंस रामचंद्र दास जी महाराज, संघ प्रमुख रहे प्रो.राजेंद्र सिंह रज्जू भैया जैसे दिवंगतों के हवाले से मैसेज दिया है।

डीजीपी-कलेक्टर और संघ पदाधिकारी भी: यूपी के डीजीपी रहे श्रीषचंद्र दीक्षित और केके नायर वह व्यक्ति हैं जो बाबरी ढांचे में रामलला प्रकट होने के दौरान जिला कलेक्टर थे।

कटुता भुला दें, बीती ताहि बिसार कर आगे बढ़ने का समय: आलोक कुमार

विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा है कि भगवान रामलला के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा वैश्विक हर्ष का महोत्सव है। राम जोड़ने वाले हैं, राम संभालने वाले हैं। इसलिए इस प्राण प्रतिष्ठा का संदेश यही होगा कि समाज में पुरानी कटुताएं और संघर्ष भूल कर सबको साथ लेकर हम आगे बढ़ें। आलोक कुमार ने कहा कि अब यह समय है आगे देखने का, बीती ताहि बिसारने का। अपने ही दांतों से यदि जीभ कट जाए तो क्या कोई दांतों को तोड़ता है, इसलिए जो कटुता का समय था, उसे भुलाकर पूरे समाज के साथ एक समरस वातावरण बना कर आगे बढ़ें। अयोध्या में 500 वर्ष के संघर्ष के उपरांत यह दिन आया है। अब तो राम जी विराजमान हो रहे हैं। अभियान सफल हुआ है।

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