इंदौर। आगामी नवरात्रि पर्व के दौरान गरबा पंडालों में प्रवेश के लिए गोमूत्र से आचमन कराने के बयान को लेकर विवाद पैदा हो गया है। इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाई थी। इंदौर बीजेपी जिलाध्यक्ष चिंटू वर्मा ने मंगलवार को इस पर सफाई दी और अपने बयान को ‘निजी मत’ बताया। कांग्रेस ने इसे विवाद का रूप दे दिया है।
उन्होंने कहा कि उनका यह मतलब नहीं था कि किसी व्यक्ति को गोमूत्र से आचमन की अनिवार्य व्यवस्था के आधार पर गरबा पंडालों में प्रवेश से रोका जाए। वर्मा ने स्पष्ट किया कि उन्होंने अपनी बात बड़े पवित्र भाव से रखी थी, लेकिन इसे गलत तरीके से पेश किया गया।
सोमवार को दिया था बयान
दरअसल, सोमवार को चिंटू वर्मा ने स्थानीय आयोजकों से अनुरोध किया था कि वे नवरात्रि पर्व के दौरान लोगों को गोमूत्र से आचमन कराने के बाद ही पंडालों में प्रवेश दें। उनके इस बयान के बाद विवाद खड़ा हो गया था। इतना ही नहीं इससे राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ गई थी। कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुए इसे भाजपा की ध्रुवीकरण की राजनीति का नया पैंतरा करार दिया।
जिलाध्यक्ष बोले- मैंने पवित्र मन से अपने विचार व्यक्त किए थे
जिला अध्यक्ष चिंटू वर्मा ने अपने विवादित बयान सफाई देते हुए संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैंने बड़े पवित्र भाव से अपने व्यक्तिगत विचार व्यक्त किए थे, लेकिन कई लोगों और कांग्रेस ने इन्हें विवाद का रूप दे दिया। इन विचारों को विवाद का रूप नहीं दिया जाना चाहिए।’’ वह पवित्र विचार था जो हमारी आस्था के साथ जुड़ा हुआ था जो मैंने साझा किया था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका आशय यह कतई नहीं था कि गरबा पंडालों में गोमूत्र से आचमन को लेकर कोई अनिवार्य व्यवस्था हो।
सबकी अपनी धार्मिक मान्यताएं हैं
वर्मा ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि सबकी अपनी धार्मिक मान्यताएं हैं और हमारा भारत सर्वधर्म सम भाव वाला देश है।’’ उन्होंने हिंदू रीति-रिवाजों के संदर्भ में आचमन का अर्थ समझाते हुए कहा कि यह पूजा और यज्ञ जैसे धार्मिक कर्मकांडों के शुरू होने से पहले शुद्धि के लिए किया जाने वाला एक अनुष्ठान है।
क्या था बयान?
चिंटू वर्मा ने सोमवार को कहा था कि गरबा माता जी का पर्व है। हम सब गोमूत्र का उपयोग करते हैं तो सब को पिलाना चाहिए। उसमें किसी को क्या दिक्कत है। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड को एडिट भी किया जा सकता है। गैर हिंदू युवक गरबा में आने के लिए तिलक भी लगवा लेते हैं और हाथ पर कलावा भी बांध लेते हैं। लेकिन गौमूत्र ही एक ऐसा तरीका है, जिससे लोगों की असली पहचान हो जाएगी। उन्होंने शहर के सभी गरबा आयोजकों से अपील की थी कि वे गरबा में आने वाले सभी लोगों को गौमूत्र पिलाने के बाद ही पंडाल में प्रवेश करने दें।