भोपालमध्य प्रदेश

VIDEO : राजधानी में शिक्षकों का प्रदर्शन, सूखी सेवनिया पर पुलिस ने रोका; आजाद अध्यापक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष नजरबंद

भोपाल। राजधानी की सड़क पर आज प्रदेशभर के शिक्षकों का बड़ा प्रदर्शन। भोपाल की ओर कूच करने वाले शिक्षकों को पुलिस प्रशासन ने सूखी सेवनिया में रोक दिया गया है। प्रदेश भर से करीब 1 हजार ज्यादा शिक्षक इस आंदोलन में शामिल हुए हैं। शिक्षक हाथ में तिरंगा लेकर अपनी विभिन्न मांगों से संबंधित नारे लगाते हुए वहीं धरने पर बैठ गए हैं।

शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष को किया नजर बंद

इसके साथ ही आजाद अध्यापक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष भरत पटेल को नजर बंद कर दिया गया। उनकी योजना मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने की है। पुरानी पेंशन बहाली, अनुकंपा नियुक्ति, क्रमोन्नति और समयमान वेतनमान सहित अन्य मांगों को लेकर प्रदेश के शिक्षकों ने मंगलवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया था। शासन ने संगठन को भोपाल में किसी भी तरह के प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी है।

तिरंगा लेकर निकले शिक्षकों को रोका

इधर, शिक्षक संघ का कहना है कि विगत पांच मई को विदिशा से तिरंगा यात्रा निकाली थी। शासन ने 15 दिन में मांगें पूरी करने के आश्वासन दिया था, इसलिए सूखी सेवनिया स्थित राम-जानकी मंदिर में तिरंगा रखा है। अब शिक्षक वहीं से तिरंगा हाथ में उठाकर रैली निकालना चाहते हैं, लेकिन उन्हें प्रशासन ने सूखी सेवनिया में रोक दिया है। संघ के संतोष सोनी का कहना है कि जब तक उनकी मांगों की पूर्ति नहीं होगी, वे यहां से नहीं जाएंगे। वे अनिश्चितकालीन हड़ताल को लेकर ये आंदोलन कर रहे हैं।

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प्रदेशभर के शिक्षक पहुंचे भोपाल

इस प्रदर्शन के लिए भोपाल के अलावा महाकौशल, बुंदेलखंड, मालवा, निमाड़, ग्वालियर और बघेलखंड से शिक्षकों के भोपाल पहुंचे, लेकिन भरत पटेल रैली में कहीं भी नजर आए। प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस के साथ ही स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को भोपाल की सीमा पर तैनात किया गया है, ताकि कोई भी शिक्षक किसी तरह से शहर के अंदर ना जा सके। सूत्रों की माने तो इस प्रदर्शन में भोपाल से कोई भी शिक्षक शामिल नहीं हैं।

ये हैं शिक्षकों की मांगें

सामान्य प्रशासन विभाग, वित्त विभाग, जनजातीय कार्य विभाग व स्कूल शिक्षा विभाग के बीच तालमेल नहीं होने के कारण पिछले 4 साल से क्रमोन्नति यानी समयमान वेतनमान नहीं मिल पा रहा है। पुरानी पेंशन बहाली नहीं मिलने से शिक्षकों के परिवारों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें रिटायरमेंट के बाद 700 से 2000 तक पेंशन मिल पा रही है। अनुकंपा के लंबित मामले नहीं निपटने से मृत शिक्षकों के परिवार वाले परेशान हैं। अतिथि शिक्षक कैडर खत्म कर इन्हें नए कैडर में शामिल किया जाए।

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