
भोपाल। मैडम, अच्छा खासा पैसा कमाता हूं, पर बीवी मनमानी करती है। दाम बढ़ते ही उसने सब्जी में टमाटर डालना बंद कर दिया है। रोज विवाद होता है, उसे समझाइए। पति ने यह शिकायत गौरवी सखी वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर पर की है। इसके विपरीत, एक अन्य महिला ने घर में सब्जी ना बनाने देने की शिकायत की। यूं तो गौरवी महिलाओं से जुड़े गंभीर मामलों में काउंसलिंग के साथ ही उनके पुनर्वास के लिए काम करती है, लेकिन इन दिनों उनके पास इस तरह की शिकायतें भी पहुंच रही है। संस्थान ने इस तरह की शिकायतों के लिए उन परिवारों को आपसी सामंजस्य स्थापित करने के सुझाव दिए हैं।
पत्नी रखती है अलग सोच
केस-1 गुलमोहर निवासी पति की शिकायत है कि पत्नी अपनी क्रांतिकारी सोच उस पर थोप रही है। पत्नी की सोच है कि यदि टमाटर का इस्तेमाल बंद कर दिया जाए, तो दाम गिर जाएंगे। पति कम टाइम के चलते सब्जी नहीं ला पाता। पत्नी का तर्क है कि बिना टमाटर भी रहा जा सकता है। पति ने उससे कहा कि जमकर मसाले और टमाटर न हों तो तुम्हारी सब्जी में स्वाद आता ही कहां है? इसका अर्थ है कि पति उसके खाने की बुराई कर रहे हैं।
दाल खाकर हो गई बोर
केस-2 करोंद निवासी महिला ने हेल्पलाइन पर कहा कि वह संयुक्त परिवार में है। घर में विधवा जेठानी और सास भी हैं। वह दोनों घर में सब्जी नहीं बनाने देतीं। कहती हैं कि सब्जियां बहुत महंगी है। पति भी उन्हीं का साथ देते हैं। महिला ने कहा कि उसके नौ और सात साल के दो बच्चे हैं। उन्हें भी सब्जी चाहिए, एक दिन वो बच्चों की खातिर आधा किलो भिंडी ले आई, तो घर में खूब कलह हुई और उसे फिजूलखर्ची तथा कमाई ना करने के ताने दिए गए।
सलाह : घर में मामूली बातों को विवाद न बनाएं
गौरवी संस्थान की को-ऑर्डिनेटर शिवानी सैनी ने बताया कि काउंसलर ने इन शिकायतकर्ताओं को सलाह दी है कि मामूली बातों को विवाद का रूप न लेने दें। उन्हें समझाया गया कि चीजों को पूरी तरह बंद न करें। ज्यादा परेशानी है, तो मात्रा को कम कर दें। आपसी सामंजस्य के साथ परिवार की गाड़ी को सही ट्रैक पर रखें ताकि परिवार में किसी तरह के विवाद का जन्म न हो।
(इनपुट – पल्लवी वाघेला)