
प्रीति जैन- वर्ल्ड वैल्यूज डे के जरिए दुनिया भर में मूल्यों के बारे में जागरुकता बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। मूल्य हमारे लिए सबसे ज्यादा मायने रखते हैं। वे हमें प्रेरित और मार्गदर्शन करते हैं। वे हमारे समुदायों और समाजों को एक साथ रखने वाली ताकत हैं। साल 2024 में वर्ल्ड वैल्यूज डे की थीम है, मूल्यों को जीवन में वापस लाना। यह दिन हमें बताता है कि वैल्यूज को अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा बनाने के लिए कुछ करें। बच्चों से ही संस्कारित व नैतिक मूल्यों की अपेक्षा न करें बल्कि बड़े भी अपने संस्कारों को पुनर्जीवित करें। शहर में कार्य रहीं संस्थाओं का कहना है कि हम अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं कि बच्चों को नैतिक मूल्यों से अवगत कराए लेकिन परिवार को भी पहल करना होगी।
30 साल से बच्चों के लिए कर रहा हूं कार्यक्रम
मैं पिछले 30 साल से बच्चों के लिए लगातार हर महीने नैतिक मूल्यों की शिक्षा देने के लिए कार्यक्रम करता आ रहा हूं। घर में लाइब्रेरी भी खासतौर पर बच्चों के लिए बनाकर रखी है ताकि आस-पड़ोस के बच्चे आकर खाली समय में देशभक्तों, आज्ञाकारी संतानों, नैतिक मूल्यों पर आधारित भारतीय लेखकों की किताबें पढ़े। किताब पढ़ने के बाद हर बच्चा उस कहानी को एक दिन सभी को सुनाता है इस तरह बच्चों को एक साथ कहानियों के माध्यम से कई अच्छी बातें पता चलती हैं। फिर बच्चों से सिचुएशन देकर सवाल पूछते हैं कि ऐसी स्थिति में वे होते तो क्या करते हैं। इससे उनके मन में गलत काम करने का भाव भी नहीं पनपता है। मुझे लगता है कि यह प्रैक्टिस घर में माता-पिता भी कर सकते हैं। – महेश सक्सेना, निदेशक, बाल साहित्य शोध केंद्र
बच्चों से गीता श्लोक पर बनवाईं रील्स
मोरल एजुकेशन की किताबों के अलावा अपने घर में रोजमर्रा की जिंदगी में आदर्श राजा, पिता, पुत्री, पुत्री के उदाहरण भी देते रहना चाहिए। इससे बच्चों के कानों में कुछ न कुछ नैतिक मूल्यों की बातें जाती रहती हैं। मैंने हाल में आरंभ चैरिटेबल फाउंडेशन के तत्वावधान में स्वाध्याय प्रतियोगिता आयोजित की थी। इस प्रतियोगिता में श्रीमद् भगवद्गीता गीता के दो श्लोक कंठस्थ करके 1 मिनट की रील बनाकर भेजना था जिसमें देशभर से छात्र- छात्राओं ने भाग लिया और रील बनाकर भेजी। इससे बच्चों के मन में गीता को पढ़ने की जिज्ञासा जागेगी तो नैतिक मूल्य भी उनके भीतर रोपित होंगे। – अनुपमा श्रीवास्तव, अनुश्री, आरंभ संस्था
बड़ों को अपनी वैल्यूज वापस लाना होंगी
बड़ों को अपनी वैल्यूज वापस लाना होगी तभी वे बच्चों को संस्कारित कर सकेंगे। हम लगातार स्टोरी टेलिंग के जरिए बच्चों को स्क्रीन टाइम से दूर करके किताबों की दुनिया से जोड़ रहे हैं। सब बच्चे जब एक साथ होते हैं तो वे मोरल वैल्यूज को एक साथ समझ पाते हैं क्योंकि उन्हें उसी वक्त एक-दूसरे के साथ टीम वर्क में कुछ समस्या सुलझाने का मौका मिलता है तो कभी अपनी बात कहने का। मोरल वैल्यूज की किताबें अकेले पढ़ने की नहीं होती बल्कि बड़ों को उस वक्त साथ होना चाहिए ताकि वे यह समझ सकें कि बच्चे ने क्या समझा। घर में बड़े एकदूसरे से सम्मानजनक तरीके से पेश आते हैं तो बच्चे भी वैसा ही व्यवहार करेंगे। -अमिता सरकारी, स्टोरी टेलर