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वन गणना के साथ वन्यजीवों के आवास का पता लगाएंगे जबलपुर के एक्सपर्ट

हर्षित चौरसिया जबलपुर। प्रदेश में वन गणना के साथ वन्यजीवों के नए आवास की जानकारी दर्ज की जाएगी। पहली बार राज्य वन अनुसंधान के वैज्ञानिक पौधारोपण के बाद किए जाने वाले वनों के मूल्यांकन के साथ जैव विविधता पर क्या प्रभाव पड़ रहा है इसकी भी रिपोर्ट तैयार करेंगे। इससे वनों की वास्तविक स्थिति और पौधारोपण जो कि कुछ वर्ष पहले हुआ है, वह कितना सफल रहा, इसकी जानकारी मिल सकेगी।

साढे चार हजार हेक्टेयर जंगल में बनाई गई 180 साइट

राज्य वन अनुसंधान केंद्र की सीनियर रिसर्च ऑफीसर प्रोजेक्ट इंचार्ज डॉ. प्रतिक्षा चतुर्वेदी ने बताया कि वन विभाग द्वारा विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत 2015-16 में किए गए वृक्षारोपण का अनुश्रवण/ मूल्यांकन किया जा रहा है। इसमें प्रदेश में साढे चार हजार हेक्टेयर जंगल का मूल्यांकन हमारी टीम कर रही है। इसके लिए 180 साइट बनाई गई हैं।

चार चरणों में तीन टीमें कर रही हैं काम

डॉ. चतुर्वेदी ने बताया इस प्रोजेक्ट को चार चरणों में पूरा किया जाना है। इसमें हमारी एक टीम रिसर्चर की है। दूसरी टीम फील्ड स्टाफ है, जो कि वन विभाग के साथ सर्वे करती है। तीसरी टीम प्रोजेक्ट स्टाफ है। वनों के मूल्यांकन के साथ जैव विविधता और जीवित पौधों के साथ नेचुरल जी जनरेशन, ग्रामीणों की वनों में मौजूदगी के साथ वन्यजीवों के नए आवास की जानकारी के आधार पर डेटा जुटाया जाएगा। इस डेटा के आने के बाद रिपोर्ट तैयार कर वन विभाग को दी जाएगी।

पौधरोपण के साथ जीवित पौधों की मिलेगी जानकारी

वैज्ञानिकों का कहना है कि वनों की गणना तो हर वर्ष होती है। लेकिन इस बार जैव विविधता पर भी काम किया जा रहा है। इससे न सिर्फ पौधरोपण के बाद जीवित पौधों की जानकारी दर्ज होगी। साथ ही वन्यजीवों की वर्तमान में उपस्थिति के साथ वहां पर निवास कर रही जनजातीय की मौजूदगी के बारे में भी जानकारी मिल सकेगी।

वैज्ञानिक अभी इस प्रोजेक्ट के काम में जुटे हुए हैं

राज्य वन अनुसंधान के वैज्ञानिक अभी इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इस प्रोजेक्ट में सबसे खास बात यह है कि वनों की गणना के साथ जैव विविधता के बारे में जानकारी मिलेगी, जो कि बहुत महत्वपूर्ण है। – अभिताभ अग्निहोत्री निदेशक राज्य वन अनुसंधान केंद्र जबलपुर

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