
भोपाल। लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में मालवा-निमाड़ की आठों सीट पर मतदान के बाद मप्र में चुनाव खत्म हो गए। इस चरण में सुबह मतदान अच्छा चला पर दोपहर बाद मौसम की मार मतदान पर भारी पड़ गई। 2019 के मतदान प्रतिशत से तुलना करें तो खबर लिखे जाने तक इंदौर-खंडवा छोड़ बाकी आधा दर्जन सीटों की पोलिंग लगभग करीब पहुंच गई। सत्ता-संगठन, सभी सियासी दल, चुनाव आयोग एवं सामाजिक संगठनों ने पोलिंग बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास किए थे। रतलाम और धार सीट पर आदिवासी वोटर्स के रुझान को लेकर कांग्रेस जीत के दावे करने लगी है जबकि भाजपा का कहना है कि हम आठों सीट पर पुन: काबिज होंगे। कांग्रेस-भाजपा के दिग्गज आदिवासी नेताओं के रतलाम और धार सीट पर अंतिम क्षणों तक सेंधमारी के लिए हरसंभव प्रयास चलते रहे लेकिन पोलिंग प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में ज्यादा नहीं बढ़ पाया। इसलिए नतीजों को लेकर कोई दल आश्वस्त नहीं हो पा रहा है।
आंधी से बदला मौसम मालवा-निमाड़ के ज्यादातर जिलों में सुबह से दोपहर तक मतदान के लिए कतारें लगी रहीं। इंदौरउ ज्जैन में लोगों ने एक-एक घंटे तक मतदान का इंतजार किया। दोपहर में गर्मी के चलते कुछ देर तक पोलिंग की रμतार धीमी पड़ी। लेकिन दोपहर बाद अचानक मौसम के मिजाज तेजी से बदल गए। कई जिलों में ओले, आंधी- पानी के चलते बड़ी संख्या में वोटर मतदान केंद्रों तक नहीं पहुंच पाए। हालांकि सभी के प्रयासों से तीसरे चरण में पोलिंग प्रतिशत सुधर गया। अंतिम चरण में 80 फीसदी वोटिंग की उम्मीद जताई जा रही थी।
मतदान का ट्रेंड और सियासी समीकरण
मतदान का ट्रेंड देख कर दोनों ही दलों के अपने दावे हैं। लेकिन रतलाम और धार दोनों ही संसदीय क्षेत्रों की आठ में से 4-4 विधानसभा सीटें कांग्रेस के खाते में चली गई थीं। इसलिए कांग्रेस को इन दोनों ही सीटों पर जीत की संभावना नजर आ रही है। यही वजह है कि भाजपा ने रतलाम और धार सीट पर इस बार अपने प्रत्याशियों के चेहरे बदल दिए हैं। उधर कांग्रेस, रतलाम में वर्तमान सांसद के प्रति मौजूद एंटी इन्कम्बेंसी को भुनाने और भील समाज के पारंपरिक समर्थन के भरोसे मैदान मारने के ख्वाब देख रही है।