
नई दिल्ली। भारत का व्यापार घाटा अप्रैल में बढ़कर 26.42 अरब डॉलर पहुंच गया है, जो मार्च में 21.54 अरब डॉलर और अप्रैल 2024 में 19.1 अरब डॉलर था। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस वृद्धि का मुख्य कारण आयात में तेज उछाल है, जबकि निर्यात में भी मामूली वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं, अप्रैल में भारत का निर्यात सालाना आधार पर 9.03% बढ़कर 38.49 अरब डॉलर रहा।
अप्रैल में आयात 19.12% बढ़कर 64.91 अरब डॉलर
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2025 में भारत का कुल आयात 19.12 प्रतिशत बढ़कर 64.91 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल अप्रैल में लगभग 54.5 अरब डॉलर के आसपास था। इस बढ़ोतरी का प्रमुख कारण ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी और औद्योगिक कच्चे माल की मांग में इजाफा माना जा रहा है।
निर्यात में 9.03% की वृद्धि
अप्रैल 2025 में भारत का निर्यात सालाना आधार पर 9.03% बढ़कर 38.49 अरब डॉलर रहा। इसमें इंजीनियरिंग सामान, रसायन, फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के निर्यात में सकारात्मक रुझान देखने को मिला। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि सरकार को उम्मीद है कि भारत इस निर्यात गति को बनाए रखेगा और अगले महीनों में इसमें और वृद्धि होगी।
क्या होता है व्यापार घाटा
व्यापार घाटा तब होता है जब किसी देश का आयात उसके निर्यात से अधिक होता है। यानी देश विदेश से जितना माल खरीद रहा है, उससे कम बाहर बेच पा रहा है। अप्रैल में व्यापार घाटा बढ़कर 26.42 अरब डॉलर हो गया, जो बताता है कि देश की आयात निर्भरता अब भी काफी ज्यादा है। यदि निर्यात आयात से ज्यादा होता है, तो ट्रेड सरप्लस की स्थिति बनती है, जो किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत होता है।
विशेषज्ञों द्वारा निर्यात में लगातार सुधार से यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले महीनों में भारत व्यापार संतुलन की दिशा में कुछ हद तक सुधार कर सकता है।