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बांग्लादेश के PM बन सकते हैं नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस, पूर्व PM खालिदा जिया की रिहाई जल्द; आज प्रदर्शनकारियों से मिलेंगे सेना प्रमुख

बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी छात्र आंदोलन के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 5 अगस्त को पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद वह देश छोड़कर ढाका से अगरतला के रास्ते भारत पहुंचीं। चर्चा है कि शेख हसीना लंदन या फिनलैंड जा सकती हैं। वहीं, बांग्लादेश में सेना के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन करने की तैयारी चल रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का नेतृत्व कर सकते हैं।

बांग्लादेश में जारी हिंसा के बाद बीएसएफ को हाई अलर्ट पर रखा गया है। ऐसी खबरें सामने आ रही हैं कि सेना प्रमुख आज प्रदर्शनकारियों से मिल सकते हैं।

कौन हैं मोहम्मद यूनुस ?

मोहम्मद यूनुस का जन्म 28 जून 1940 को हुआ था। वह बांग्लादेश के एक अर्थशास्त्री, बैंकर, सामाजिक उद्यमी और नागरिक समाज नेता हैं। साल 2006 में उन्होंने ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना की। इसके लिए उन्हें 2006 में ही नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यूनुस को नोबेल के अलावा और भी कई पुरस्कार मिले हैं। उन्हें 2009 में प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम और 2010 में कांग्रेसनल गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया था।

पूर्व PM खालिदा जिया की रिहाई जल्द

बांग्लादेश के राष्ट्रपति मुहम्मद शहाबुद्दीन ने एलान किया है कि संसद भंग करने के बाद जल्द ही अंतरिम सरकार का गठन कर लिया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने जेल में बंद पूर्व पीएम और विपक्षी नेता खालिदा जिया को रिहा करने का आदेश दिया। भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में उन्हें 2018 में 17 साल जेल की सजा सुनाई गई थी।

बांग्लादेश में सेना बनाएगी अंतरिम सरकार

सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने कहा कि, पीएम शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है। अब हम अंतरिम सरकार का गठन करके शासन करेंगे, हमारे देश का नुकसान हो रहा है। संपत्ति का नुकसान हो रहा है। मुझे दायित्व दीजिए, मैं सब संभाल लूंगा। जो हत्या हुई उस पर न्याय होगा। बांग्लादेश के आर्मी चीफ ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की।

आपकी जो मांग है उसे हम पूरा करेंगे। देश में शांति वापस लाएंगे। तोड़फोड़-आगजनी मारपीट से दूर रहिए। आप लोग हमारे साथ चलेंगे तो हम स्थिति बदल देंगे। मारपीट हिंसा अराजकता संघर्ष से दूर रहिए। हमने आज सभी पार्टी नेताओं से बात की है।

शेख हसीना ने PM पद से दिया इस्तीफा

बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन सोमवार (5 अगस्त) को इतना तेज हो गया कि हजारों प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री आवास में घुस गए। इस बीच सेना के अल्टीमेटम के बाद पीएम शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के बाद शेख हसीना ने बांग्लादेश भी छोड़ दिया। वह देश छोड़कर ढाका से अगरतला के रास्ते भारत पहुंचीं। चर्चा है कि शेख हसीना लंदन या फिनलैंड जा सकती हैं।

आंदोलन में तीन हफ्तों में 300 से ज्यादा मौतें

रविवार को 100 लोगों की मौत हुई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीते तीन हफ्तों में यहां हिंसा में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

BSF ने बांग्लादेश से लगी सीमा पर जारी किया ‘हाई अलर्ट’

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने सोमवार को बांग्लादेश में हुए घटनाक्रम के मद्देनजर 4,096 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा पर अपनी सभी यूनिट के लिए ‘हाई अलर्ट’ जारी किया। अधिकारियों ने बताया कि बीएसएफ के कार्यवाहक डीजी दलजीत सिंह चौधरी और अन्य वरिष्ठ कमांडर ने सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए पश्चिम बंगाल के अग्रिम मोर्चे का दौरा किया। महानिदेशक दिल्ली से विमान के जरिये करीब सुबह साढ़े 10 बजे के करीब कोलकाता पहुंचे। महानिदेशक ने ‘उत्तर 24 परगना’ जिला और सुंदरबन इलाके में तैयारियों की समीक्षा की।

आरक्षण है आंदोलन की वजह

छात्रों ने पिछले महीने बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को लेकर प्रदर्शन शुरू किया था। वे लगातार इस आरक्षण को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। जिसके चलते पहले भी व्यापक रूप से हिंसा भड़क चुकी है और अब तक करीब 200 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। रविवार (4 अगस्त) को हुई इस हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने कार्यालयों और प्रतिष्ठानों पर भी हमला किया। राजधानी ढाका में स्थित शाहबाग चौराहे पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच संघर्ष हुआ। इसके अलावा वहां मौजूद गाड़ियों में आग लगा दी गई। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की और आरक्षण में सुधार को लेकर हाल में हुए विरोध प्रदर्शनों में मारे गए लोगों के लिए न्याय की मांग करते हुए नारे भी लगाए।

क्या है सरकारी नौकरियों में कोटा सिस्टम

बांग्लादेश में 1971 के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत का आरक्षण तय किया गया था। बांग्लादेश की सरकार ने 2018 में अलग-अलग कैटेगरी को मिलने वाला 56 प्रतिशत आरक्षण खत्म कर दिया था, लेकिन इस साल 5 जून को वहां के हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले को पलटते हुए दोबारा आरक्षण लागू कर दिया था। इसके बाद पूरे देश में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए थे। बढ़ते हिंसा प्रदर्शन को देखते हुए कोर्ट ने 21 जुलाई को आरक्षण की सीमा 56 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दी। इसमें से स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार वालों को 5 प्रतिशत आरक्षण तय किया था जो पहले 30 प्रतिशत था। बाकी 2 प्रतिशत आरक्षण एथनिक माइनॉरिटी, ट्रांसजेंडर और दिव्यांगों के लिए तय किया गया था।

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