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बांग्लादेश : हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका पर आज हो सकती है सुनवाई, देशद्रोह के आरोप में 25 नवंबर से हैं जेल में

ठाका। बांग्लादेश में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी और उनके खिलाफ लगे राजद्रोह मामले में सोमवार को हाईकोर्ट में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होनी है। चिन्मय दास पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का आरोप है। इस मामले में, उन्हें 25 नवंबर 2024 को गिरफ्तार किया गया था।

चिन्मय दास पर क्या हैं आरोप

बांग्लादेश के चटगांव में आयोजित एक रैली के दौरान राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का आरोप चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी पर लगाया गया है। 25 अक्टूबर 2024 को लालदीघी मैदान में आयोजित इस रैली में न्यू मार्केट चौक के पास आजादी स्तंभ पर भगवा ध्वज फहराने की घटना हुई थी। ध्वज पर आमी सनातनी लिखा हुआ था। इस रैली के बाद 31 अक्टूबर को बांग्लादेश नेशनल पार्टी (बीएनपी) के नेता फिरोज खान ने चिन्मय कृष्ण दास समेत 19 लोगों के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज कराया। आरोप है कि इस घटना से बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज और उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची।

खारिज की जा चुकी है याचिका

25 नवंबर 2024 को बांग्लादेश पुलिस ने ढाका के हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से चिन्मय दास को गिरफ्तार किया। उस समय वे चटगांव जाने वाले थे। गिरफ्तारी के समय इस्कॉन के सदस्यों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने न तो गिरफ्तारी वारंट दिखाया और न ही उचित प्रक्रिया का पालन किया। ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त रेजाउल करीम मल्लिक ने दावा किया कि पुलिस के अनुरोध पर चिन्मय दास को गिरफ्तार किया गया और कानूनी प्रक्रिया के तहत संबंधित पुलिस स्टेशन को सौंपा गया।

2 जनवरी को चटगांव की निचली अदालत में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई। इसके बाद उनके वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने 12 जनवरी को हाईकोर्ट में जमानत के लिए अपील दायर की। आज इस पर सुनवाई होनी है।

कौन हैं चिन्मय दास

चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिनका असली नाम चंदन कुमार धर है, वो बांग्लादेश के चटगांव में इस्कॉन के प्रमुख हैं। वे बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के अधिकारों के मुखर समर्थक माने जाते हैं। बांग्लादेश में 2024 में हुई हिंसा और धार्मिक उथल-पुथल के दौरान, उन्होंने सनातन जागरण मंच की स्थापना की और उसके प्रवक्ता बने। इस मंच ने अल्पसंख्यक हिंदुओं और अन्य धार्मिक समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए कई रैलियों का आयोजन किया।

क्या थी उनके वकील की दलील

चिन्मय दास के वकील अपूर्व भट्टाचार्य ने 2 जनवरी की सुनवाई में कहा कि चिन्मय दास बांग्लादेश को अपनी मातृभूमि मानते हैं और राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करते हैं। उन्होंने आरोपों को बेबुनियाद बताया और कहा कि चिन्मय दास केवल अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे थे। वकील का कहना है कि यह मामला धार्मिक भेदभाव और राजनीतिक दबाव के तहत दर्ज किया गया है।

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