
नेहा जैन, इंदौर आंखें चेहरे की खूबसूरती के साथ जीवन का अनमोल हिस्सा हैं, लेकिन आई सॉकेट सहित आंख बाहर आ जाए तो चेहरा विकृत दिखने लगता है। ऐसी ही समस्या से 10 साल से जूझ रही हैं जम्मू कश्मीर की 14 वर्षीय नुसरत, जो इलाज में मदद की आस लिए इंदौर आई। अब पीपुल्स समाचार की पहल और सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से नुसरत की अंधेरी जिंदगी खूबसूरत हो सकेगी, क्योंकि गोकुल दास अस्पताल में डॉ.निशांत खरे ने बीते दिनों उसकी आंख की नि:शुल्क प्लास्टिक सर्जरी की है।
आर्थिक रूप से बेहद कमजोर था परिवार
दरअसल नुसरत के पिता ने बीते दिनों पीपुल्स समाचार से संपर्क किया और बताया था कि ऑपरेशन के लिए भारी भरकम खर्च करने में वह सक्षम नहीं हैं। उनकी इस पीड़ा को पीपुल्स समाचार ने 17 जनवरी को शीर्षक ‘‘कश्मीर घाटी की एक मासूम को मदद की दरकार : चार साल की उम्र में एक आंख खोने वाली नुसरत के इलाज के लिए इंदौर के बाशिंदों से उम्मीद’’ के साथ प्रकाशित किया। इसे पढ़कर आगे आए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र के डॉ. रत्नेश खरे से संपर्क किया। इसके बाद डॉ. रत्नेश खरे ने नुसरत की आंख के ऑपरेशन के लिए इंतजाम किए।
डॉ. निशांत खरे ने 31 जनवरी को उसकी विकृत आंख की प्लास्टिक सर्जरी कर आई सॉकेट बनाया। इस सर्जरी का खर्च डेढ़ से दो लाख रुपए आता है, लेकिन इंदौर के गोकुलदास अस्पताल ने इसे सिर्फ पचास हजार रुपए में ही कर दिया। यह खर्चा जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र ने वहन किया। वहीं इस बारे में अस्पताल के संचालक डॉ संजय गोकुलदास ने बताया कि उनके अस्पताल में औसतन प्रत्येक महीने में इलाज में चार से पांच लाख के पारमार्थिक कार्य अस्पताल प्रबंधन करता है।
आरएसएस के स्वयं सेवकों ने की मदद
इलाज में मदद के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ कार्यकर्ता आगे आए और नुसरत के जीवन को खूबसूरत बनाने में सहयोग कर मानवता और गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की।
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दिखेगा नहीं, पर चेहरे की खूबसूरती लौट सकेगी
डॉ. निशांत खरे ने आई सॉकेट (सॉकेट रिक्रिएट) बना दी है। हीलिंग में 4-6 हफ्ते का समय लगेगा। जिसके बाद आर्टिफिशियल आई लगाई जा सकती है। नुसरत को नई आंख से दिखेगा तो नहीं, लेकिन चेहरे की खूबसूरती लौट सकेगी। नुसरत के पिता मुश्ताक अहमद को अब आर्टिफिशियल आई के लिए मदद की दरकार है।