भारत का 70 साल का इंतजार आज खत्म हुआ। नामीबिया से आए 8 चीतों ने मप्र की सरजमीं पर कदम रख दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर बॉक्स खोलकर तीन चीतों को कूनो-पालपुर अभयारण्य में बने क्वारंटाइन बाड़ों में छोड़ा। इस दौरान पीएम मोदी ने खुद इन चीतों की तस्वीरें लीं। पीएम मोदी ने अपने भाषण में चीते भेजने के लिए नामीबिया का आभार माना।
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चीतों के बाहर आते ही PM मोदी ने ताली बजाकर उनका स्वागत किया। मोदी ने कुछ फोटो भी क्लिक किए। 500 मीटर चलकर मोदी मंच पर पहुंचे थे। उनके साथ राज्यपाल मंगूभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी थे। उन्होंने चीता मित्र दल के सदस्यों से भी बात की।
चीतों के दीदार के लिए रखें धैर्य : पीएम
चीतों के दीदार को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि, कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीने का धैर्य दिखाना होगा, इंतजार करना होगा। आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं, इस क्षेत्र से अनजान हैं. कूनो नेशनल पार्क को ये चीते अपना घर बना पाएं, इसके लिए हमें इन चीतों को भी कुछ महीने का समय देना होगा। अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन्स पर चलते हुए भारत इन चीतों को बसाने की पूरी कोशिश कर रहा है। कूनो में चीता फिर से दौड़ेगा तो यहां बायोडायवर्सिटी बढ़ेगी। यहां विकास की संभावनाएं जन्म लेंगी।
चीतों के पुनर्वास के लिए नहीं हुआ सार्थक प्रयास – पीएम
पीएम मोदी ने आगे कहा कि, हमने पिछली सदी में वो समय भी देखा है जब प्रकृति के दोहन को शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक मान लिया गया था। 1947 में जब देश में केवल आखिरी तीन चीते बचे थे तो उनका भी शिकार कर लिया गया। ये दुर्भाग्य रहा कि हमने 1952 में चीतों को विलुप्त तो घोषित कर दिया। लेकिन, उनके पुर्नवास के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं हुआ। आज आजादी के अमृतकाल में देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास में जुट गया है। अमृत में वो ताकत होती है जो मृत को भी पुनर्जीवित कर सकता है।
एक्सपर्ट ने कूनो नेशनल पार्क को चुना : पीएम
पीएम मोदी ने आगे कहा कि, ये एक ऐसा काम है जिसे कोई महत्व नहीं देता। हमने इसके पीछे पूरी ताकत लगाई, पूरी प्लानिंग की गई, वैज्ञानिकों ने रिसर्च की और वहां के एक्सपर्ट भी भारत आए। पूरे देश में चीतों के लिए सबसे उपयुक्त क्षेत्र के लिए सर्वे हुए, जिसके बाद कूनो नेशनल पार्क को चुना गया। आज हमारी वो मेहनत परिणाम के रूप में हमारे सामने हैं।
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पीएम मोदी ने कहा कि, ये बात सही है कि जब प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण होता है तो हमारा भविष्य भी सुरक्षित होता है। विकास और समृद्धि के रास्ते भी खुलते हैं। कूनो नेशनल पार्क में जब चीता फिर से दौड़ेंगे, तो यहां की घासों का फिर से रिस्टोर होगा, बायोडायवर्सिटी और बढ़ेगी।
गुजरात बना एशियाई शेरों का बड़ा क्षेत्र : पीएम
पीएम मोदी ने आगे कहा कि, आज 21वीं सदी का भारत, पूरी दुनिया को संदेश दे रहा है कि इकॉनमी और इकोलॉजी कोई विरोधाभाषी क्षेत्र नहीं है। पर्यावरण की रक्षा के साथ ही, देश की प्रगति भी हो सकती है, ये भारत ने दुनिया को करके दिखाया है। हमारे यहां एशियाई शेरों की संख्या में भी बड़ा इजाफा हुआ है। इसी तरह, आज गुजरात देश में एशियाई शेरों का बड़ा क्षेत्र बनकर उभरा है। इसके पीछे दशकों की मेहनत, रिसर्च बेस्ड पॉलिसी और जन-भागीदारी की बड़ी भूमिका है।
एक सींग वाले गैंडों की संख्या बढ़ी : पीएम
पीएम मोदी ने कहा कि शेरों की संख्या को दोगुना करने का जो लक्ष्य तय किया गया था उसे समय से पहले हासिल किया है। असम में एक समय एक सींग वाले गैंडों का अस्तित्व खतरे में पड़ने लगा था, लेकिन आज उनकी भी संख्या में वृद्धि हुई है। हाथियों की संख्या भी पिछले वर्षों में बढ़कर 30 हजार से ज्यादा हो गई है। आज देश में 75 झीलों को रामसर साइट्स के रूप में घोषित किया गया है, जिनमें 26 साइट्स पिछले 4 वर्षों में ही जोड़ी गई हैं। देश के इन प्रयासों का प्रभाव आने वाली सदियों तक दिखेगा, और प्रगति के नए पथ प्रशस्त करेगा।
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ग्वालियर पहुंचे चीतों की पहली तस्वीर आई सामने
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70 साल बाद भारत आए चीते
चीतों का तेजी से शिकार बढ़ जाने की वजह से ये प्रजाति संकट में आ गई थी। मध्य प्रदेश के कोरिया में 1947 में देश में अंतिम तीन चीतों को मार दिया था। इसके बाद 1952 में भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर देश में चीता को विलुप्त घोषित कर दिया था।