
अशोक गौतम-भोपाल। गंगा नदी भले ही उत्तर प्रदेश से निकलकर बिहार होते हुए बंगाल की खाड़ी में मिलती हो, लेकिन मप्र का आधे से ज्यादा क्षेत्रफल इसकी कछार में आते हैं। इन क्षेत्रों के छोटे से छोटे शहरों में सालिड वेस्ट, लिक्विड पर फोकस किया जाएगा। इसमें नदियों में मिलने वाले सीवेज को रोकने से लेकर नदियों के कटाव को रोकने तक का माइक्रो स्तर पर काम होगा।
प्रदेश के करीब 250 से अधिक शहर गंगा के कछार में आते हैं। इनसे निकलने वाले कचरे को रोकने के लिए मानीटरिंग की जाएगी। प्रदेश के 31 जिलों से निकलने वाली करीब 283 अधिक छोटी- बड़ी नदियों का पानी गंगा में मिलता है। नमामि गंगे योजना के तरह इन नदियों को शुद्ध बनाए रखने का काम निकायों को दिया जाएगा।
शिप्रा के बाद अन्य जिले
नमामि गंगे योजना की शुरुआत शिप्रा के शुद्धिकरण से की गई है। इसके लिए केन्द्र सरकार की ओर से इंदौर, देवास, उज्जैन से मिलने वाले दूषित नदियों को क्षिप्रा में मिलने से रोकने और नदियों को शु्द्ध करने के लिए 661 करोड़ रुपए दिया है। इसके बाद अन्य जिलों की नदियों को राशि दी जाएगी।
निकायों को ये करना होगा
- पौधरोपण: निकायों को नदियों और नालों की मिट्टी कटाव रोकने और पौधरोपण पर काम करना होगा। इन पौधरोपण के बाद पांच वर्ष तक उनका देखरेख और गर्मी में पानी डालने का काम भी किया जाएगा।
- सफाई: नदियों में मिलने वाले नालों का पक्का निर्माण कराना होगा। नदियों में घाटों के साथ निर्माण के साथ विश्राम घाटों को भी बनाया जा रहा है।
- समाज सेवी संगठनों का सहारा : नदियों को स्वच्छ रखने के लिए समाज सेवी संगठनों का सहारा लिया जाएगा। संगठन नदियों की पवित्रता बनाए रखने शुद्ध पानी की अनिवार्यता से जोड़ते हुए काम करेंगे।
प्रोजेक्ट में ये काम होंगे
- नगरीय निकायों में सालिड वेस्ट, लिक्विड, गार्बेज वेस्ट मैनेजमेंट पर विशेष फोकस
- सीवेज नेटवर्क तैयार करने से लेकर उसके संचालन की डेली मानीटरिंग
- जो कंपनी नदियों पर काम करेगी, उसे ही 10 सालों तक रखरखाव करना होगा
मप्र से निकलने वाली गंगा की सहायक बड़ी नदियां
- चंबल: यह नदी यमुना में मिलती है जो गंगा की सहायक नदी है।
- सिंध : चंबल से यमुना में मिलती है।
- बेतवा : यह यमुना में मिलती है।
- महानंदा : यह गंगा में मिलती है।
- शिप्रा: यह चंबल में मिलती है। जो यमुना में मिलती है।
- परवन : यह चंबल में मिलती है।
अभी इंदौर और उज्जैन की नदियों को कर रहे साफ
सभी निकायों में सीवेज नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। कई शहरों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से गंदे पानी को शुद्ध करने का काम किया जा रहा है। नमामि गंगे योजना का काम उज्जैन और इंदौर की नदियों से किया जा रहा है। इसके बाद पूरे प्रदेश में नदियों की शुद्धता पर काम शुरू होगा। -भरत यादव, आयुक्त, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग